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भारत और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे व्यापारिक असंतुलन और तनावपूर्ण संबंधों के बीच अब एक नई उम्मीद जगी है। चीन ने संकेत दिए हैं कि वह भारतीय कंपनियों के लिए अपने बाजार के दरवाजे खोलना चाहता है। साथ ही वह भारत के साथ व्यापार घाटे को भी कम करने पर काम करने को तैयार है। यह रुख ऐसे समय में सामने आया है जब अमेरिका की टैरिफ नीतियों से चीन को आर्थिक दबाव झेलना पड़ा है।
रिश्तों में नई गर्माहट
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सख्त व्यापार नीतियों से प्रभावित चीन अब दक्षिण एशियाई देशों, खासतौर पर भारत, के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। चीन में भारत के राजदूत जू फेइहोंग ने एक इंटरव्यू में बताया कि चीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत करने को तैयार है और भारतीय कंपनियों को अपने बाजार में व्यापार के नए अवसर देने को इच्छुक है।
भारतीय कारोबार के लिए नया अवसर
चीन का उपभोक्ता बाजार दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा है, और यहां की मध्यम वर्गीय आबादी तेजी से बढ़ रही है। चीनी राजदूत के अनुसार, भारतीय प्रीमियम प्रोडक्ट्स को चीन में अच्छी मांग मिल सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय कंपनियां "चाइना इंटरनेशनल इम्पोर्ट एक्सपो" जैसी व्यापारिक प्रदर्शनियों में भाग लेकर चीनी खरीदारों तक पहुंच बना सकती हैं।
व्यापार घाटा कम करने पर चीन का रुख नरम
भारत और चीन के बीच करीब 100 अरब डॉलर का व्यापार घाटा है, जो भारत के लिए एक बड़ी चुनौती रहा है। अब चीन इस असंतुलन को दूर करने की दिशा में सकारात्मक पहल करना चाहता है। राजदूत जू फेइहोंग ने कहा कि चीन ने कभी जानबूझकर व्यापार में अधिशेष नहीं बढ़ाया है, लेकिन अब वह भारत के साथ मिलकर इसे संतुलित करने को तैयार है।
दोनों देशों को होगा फायदा
चीन का मानना है कि भारत के साथ व्यापारिक सहयोग से दोनों देशों को फायदा होगा। पिछले वर्ष भारत से चीन को मिर्च, लौह अयस्क और सूती धागे का निर्यात तेज़ी से बढ़ा है, जिससे यह साफ है कि चीन में भारतीय उत्पादों के लिए एक बड़ा बाजार मौजूद है।
चीन को भारत से सकारात्मक माहौल की उम्मीद
राजदूत ने यह भी उम्मीद जताई कि जैसे चीन भारतीय कंपनियों को अवसर दे रहा है, वैसे ही भारत भी चीनी कंपनियों के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी व्यापारिक माहौल प्रदान करेगा। उन्होंने दोनों देशों के उद्योगों के बीच भरोसे और सहयोग की भावना को ज़रूरी बताया।
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डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों से अमेरिका-चीन संबंधों में आई दरार के बाद, चीन अब भारत को एक भरोसेमंद साझेदार के रूप में देख रहा है। यह बदलाव दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को एक नई दिशा देने का संकेत माना जा रहा है।
Published By: Divya