
नीतू पाण्डेय, नई दिल्ली: खालिस्तान समर्थक और वारिस पंजाब दे प्रमुख और भगोड़े कहे जाने वाले अमृतपाल सिंह को आखिरकार करीब 36 दिन बाद मोगा पुलिस ने अपने हिरासत में ले लिया है. कई दिनों से अमृतपाल की तलाश में पुलिस लगी हुई थी. लेकिन आखिरकार अब बहुत दिन बाद पुलिस के हाथ बड़ी कामयाबी लग गई है. वो अजनाला कांड के बाद से ही फरार चल रहा था. पुलिस कई बार उसके करीब पहुंची, लेकिन अमृतपाल पुलिस को चकमा देता रहा. पुलिस के हाथ से बार-बार अमृतपाल फरार हो जा रहा था.
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बता दें कि अमृतपाल ने ठीक 7 बजे गिरफ्तारी दे दी थी. रविवार सुबह पुलिस ने अमृतपाल सिंह को मोगा के गांव रोड़े के गुरुद्वारा से सरेंडर के बाद गिरफ्तार किया गया. सरेंडर के पहले उसने मोगा गुरुद्वारे में मत्था टेका था. उसकी गिरफ्तारी को लेकर गुरुद्वारे के ग्रंथी ने जानकारी दी. मोगा गुरुद्वारे के ग्रंथी ने बताया कि अमृतपाल रात को यहां आया था. अमृतपाल खुद कह रहा था कि गुरुद्वारा में मत्था टेकने के बाद खुद सरेंडर कर दूंगा. ग्रंथी ने ये भी दावा किया कि उसने किसी दबाव में आकर गिरफ्तारी नहीं दी है. ठीक 7 बजे अमृतपाल ने गिरफ्तारी दे दी.
पहले अमृतपाल 18 मार्च की रात को लुधियाना पहुंचा. वहां पर वो शेखपुरा गुरुद्वारे में कुछ देर तक ठहरा. उसके बाद यहां से वह एक स्कूटी पर बैठकर रात के करीब 9.30 बजे निकला था. इस दौरान उसका साथी पप्पलप्रीत भी साथ ही बाइक से चल रहा था. 20 मार्च को अमृतपाल कुरुक्षेत्र पहुंचा, यहां वह हरियाणा रोडवेज की बस में चढ़ गया. हरियाणा में अमृतपाल और पप्पलप्रीत ने एक महिला के घर में शरण ली थी. महिला को बाद में हरियाणा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था.
अमृतपाल और पपलप्रीत ने अपनी महिला दोस्त या महिला नेटवर्क का इस्तेमाल करते हुए पटियाला में रुके थे. पपलप्रीत अपनी महिला दोस्त दलजीत कौर के घर पर शरण ली थी. यहां महिला और उसके भाई का फोन इस्तेमाल किया था. दिल्ली में भी पपलप्रीत ने अपनी किसी महिला दोस्त से हेल्प ली थी. 10 से ज्यादा महिला एजेंसियों की रडार पर थी. जिनमें से 3 लोगों से पूछताछ भई की जा रही थी. लेकिन हरियाणा से जब महिला दोस्त गिरफ्तार हुई उसके बाद पपलप्रीत सतर्क हो गया था.