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वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में गुरुवार को एक अहम मोड़ आया, जब केंद्र सरकार ने अदालत को भरोसा दिलाया कि अगली सुनवाई तक 'वक्फ बाय डीड' और 'वक्फ बाय यूजर' की संपत्तियों को डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि फिलहाल ऐसी कोई भी वक्फ संपत्ति जो वक्फ बोर्ड के नाम रजिस्टर्ड या गजेटेड है, उसे वापस नहीं लिया जाएगा।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अनुपस्थिति में जस्टिस संजीव खन्ना, संजय कुमार और के वी विश्वनाथन ने यह स्पष्ट किया कि केंद्र को इस मामले में सात दिन के भीतर अपना जवाब दाखिल करना होगा। इस बीच वक्फ बोर्ड या वक्फ परिषद में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी, और खासकर किसी गैर-मुस्लिम को इन संस्थाओं में नियुक्त नहीं किया जाएगा।
दोनों पक्ष क्यों बता रहे हैं इसे अपनी जीत?
मुस्लिम पक्ष इसे इसलिए अपनी जीत मान रहा है क्योंकि अदालत ने वक्फ संपत्तियों को डिनोटिफाई करने पर फिलहाल रोक लगा दी है, जिससे इनकी कानूनी स्थिति बनी रहेगी।
हिंदू पक्ष इसे इसलिए सकारात्मक देख रहा है क्योंकि अदालत ने पूरे वक्फ संशोधन कानून 2025 पर रोक नहीं लगाई है, बल्कि समीक्षा की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है। इससे उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में कानून की कुछ धाराओं पर कोर्ट सख्ती दिखा सकता है।
क्या कहा सरकार ने?
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार को बड़ी संख्या में वक्फ से जुड़ी संपत्तियों के आवेदन मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि वक्फ अधिनियम एक सुविचारित कानून है और इस पर पूरी तरह रोक लगाना फिलहाल ठीक नहीं होगा। उन्होंने जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का अतिरिक्त समय मांगा, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।
अब आगे क्या होगा?
अगली सुनवाई 5 मई को होगी, जिसमें कोर्ट इस मामले पर अंतरिम आदेश दे सकता है। फिलहाल, अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है यानी वक्फ संपत्तियों की मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
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सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल संतुलन बनाए रखा है। कानून को पूरी तरह न रोकते हुए भी, उसने यह सुनिश्चित किया है कि जब तक मामला अदालत में है, तब तक वक्फ संपत्तियों की स्थिति जस की तस बनी रहे।
Published By: Divya