Balasore Train Accident को लेकर बड़ा खुलासा, मेन लाइन से लूप लाइन पर चली गई थी ट्रेन, रेल लाइनों को दुरुस्त करने में जुटी कई टीमें

बालासोर में हुए ट्रेन हादसे के बाद अब हालात सुधरने लगे हैं. इस हादसे में 280 लोगों ने जान गंवाई. जबकि 1000 से अधिक लोग घायल हो गए.

06 June 2023

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Neetu Pandey, नीतू पाण्डेय:ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे के बाद हालात सामान्य होने लगे हैं. बीते दिन पीएम मोदी ने दौरे के बाद काम को युद्धस्तर पर कराने के निर्देश दिए थे. वहीं रेलमंत्री भी पूरे दिन घटनास्थल पर मौजूद रहे. जिसके बाद अब पटरियों को बिछाने का भी शुरू कर दिया गया है. रेलमंत्री का कहना है कि अगले बुधवार तक गाडियों का संचालन सुचारू तौर पर शुरू कर दिया जाएगा. लेकिन इस हादसे के बाद कवच रक्षा प्रणाली पर भी चर्चा तेज हो गई है.

ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे के बाद अब हालात सुधरने लगे हैं. इस हादसे में 280 लोगों ने जान गंवाई. जबकि 1000 से अधिक लोग घायल हो गए. जिन्हें राहत और बचाव टीम द्वारा इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है. वहीं इस सबके बीच रेल लाइन को दुरूस्त करने का काम भी शुरू हो गया है. बीते दिन पीएम मोदी ने घटनास्थल पर पहुंचकर हालातों का जायजा लिया था. जिसके बाद वे अस्पताल में घायलों से मिलने भी पहुंचे थे. मोदी ने कड़े शब्दों में कहा था कि मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, और आरोपियों को बख्शा नहीं जाएगा.

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वहीं रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव भी पूरे दिन हादसा स्थल पर ही मौजूद रहे और अब हादसे को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. जानकारी के मुताबिक कोरोमंडल एकसप्रेस मेन लाइन से गुजर रही थी. जबकि मालगाड़ी लूप लाइन पर खड़ी थी. जिसके थोड़ी देर बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस मेन लाइन से लूप लाइन पर आ गई. और वहां खड़ी मालगाड़ी से जोरदार टक्कर हो गई. हादसे में कोरोमंडल के कई डिब्बे मालगाड़ी पर चढ़ गए. इसके साथ की कई डिब्बे दूसरे ट्रैल पर जा गिरे. जिस चेन्नई हावड़ा एक्सप्रेस आ रही थी.

शुरूआती जांच के मुताबिक हादसे के वक्त कोरोमंडल एक्सप्रेस की रफ्तार 128 किलोमीटर थी जबकि चेन्नई हावडा 116 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी. इन दोनों ट्रेनों में कुल 2000 यात्री बताए जा रहे हैं. शुरुआती जांच बताती है कि सिग्नल मिलने के बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस स्टेशन से रवाना हुई थी जो मानवीय भूल के संकेतों की ओर इशारा कर रही है. इसके अलावा बताया ये भी जा रहा है कि जहां ये हादसा हुआ है वहां ट्रेन की प्रतिरक्षा प्रणाली कवच नहीं लगी थी.

कहा ये भी जा रहा है कि अगर कवच सिस्टम लगा होता तो हादसे को रोका जा सकता था. वहीं अब इस हादसे का असर बाकी ट्रेनों पर भी पड़ता नजर आ रहा है. हादसे के चलते 48 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है. इसके अलावा 10 ट्रेनों को आंशिक तौर पर रद्द कर दिया है. जबकि 39 रेलगाड़ियों के रूट को डायवर्ट कर दिया गया है.

तो वहीं अब इस हादसे के बाद से ही कवच को लेकर चर्चा भी तेज हो गई है. माना जा रहा है कि ट्रेन में कवच सिस्टम नहीं लगा था. अगर ये लगा होता तो हादसे को काफी हद तक टाला जा सकता था. रेलमंत्रालय ने पिछले साल कवच सिस्टम की टेस्टिंग की गई थी. जिसका काफी प्रचार भी किया गया था इसी को लेकर रेलमंत्री का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें वे कवच की खूबियां गिना रहे हैं. जिसको लेकर सरकार ने खूब प्रचार प्रसार भी किया था और अब वहीं बात घूम फिर कर सामने आ रही है कि अगर इस ट्रेन में भी कवच सिस्टम लगा होता तो शायद ये हादसा टल जाता. हालांकि कई जानकारों का ये भी कहना है कि कवच पूरी तरह से इन हादसों को रोकने के लिए सक्षम नहीं है.

लेकिन अब जरा कवच को लेकर कुछ तथ्य समझ लीजिए. दरअसल कवच एक ऐसा सिस्टम है जो ब्रेक विफल रहने की स्थिति में ब्रेक की गति को नियंत्रित करता है. यह हाई फिक्वेंसी वाले रेडियो संचार का उपयोग करके गति की जानकारी देता रहता है. जो SIL-4 के अनुरूप है. जो सुरक्षा प्रमाणन का HIGHEST लेवल है. हर ट्रैक के लिए ट्रैक और स्टेशन यार्ड पर RFID टैग दिए जाते हैं और ट्रैक की पहचान, ट्रेनों के स्थान और ट्रेन की दिशा की पहचान के लिए सिग्नल देता है. वहीं बात अगर इसके ऊपर आने वाले खर्च की करें तो प्रति किलोमीटर 50 लाख रूपये की लागत आएगी. देश में 70 हजार किलोमीटर के रेलवे टैक, 7 हजार रेल स्टेशन और 15 हजार रेलवे क्रासिंग हैं जिनको कवच से जोड़ने के लिए 1 लाख करोड़ के बजट की जरूरत पड़ेगी. जिसके बात रेलवे की यात्रा को तकनीक के माध्यम से सुरक्षित बनाया जा सकेगा.

बहरहाल, इस हादसे के बाद सरकार पर कई सवाल खड़े होने लगे हैं. जिनके जवाब हादसे की रिपोर्ट पर ही सामने आ सकेंगे. लेकिन जिस रूट पर भारतीय इतिहास की भीषण दुर्घटना घटी है उस पर कवच नहीं है. 70 हजार किलोमीटर के रूट को कवर के लिए 10 लाख करोड़ के बजट की जरूरत है. लेकिन डबल इंजन की बात करने वाली सरकार ने अब तक 2022-23 में इस पर केवल 273 करोड़ रूपये ही खर्च का प्रावधान किया गया. ऐसे में समझना ये जरूरी है कि आखिर इतने कम खर्च में इस कवचरूपी टेक्नोल़ॉजी को कैसे लागू किया जा सकता है. इस हादसे के बाद लोगों को एक बार फिर ट्रेन यात्रा करने में हिचकिचाहट होने लगी है. सुरक्षित रेल के दावे को इस हादसे ने गंभीर चोट पहुंचाई है. ऐसे में जरूरी ये है कि सरकार विकास के साथ साथ सुरक्षा पर भी ध्यान दे. ताकि लोगों की जानें बचाई जा सके.

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