
नीतू पाण्डेय, नई दिल्ली: यूट्यूबर मनीष कश्यप (Youtuber Manish Kashyap) की मुश्किलें खत्म होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है. मनीष कश्यप को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है. मनीष कश्यप (Youtuber Manish Kashyap) की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया है. आरोपी मनीष कश्यप (Manish Kashyap) के खिलाफ तमिलनाडु में प्रवासी मजदूरों के साथ हिंसा के कथित फेक वीडियो शेयर करने का आरोप है.
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यूट्यूबर मनीष कश्यप (Youtuber Manish Kashyap) ने तमिलनाडु पुलिस (Tamil Nadu Police) की ओर से लगाए गए कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून हटवाने, बिहार और तमिलनाडु में दर्ज अलग-अलग मामलों को एक ही जगह पर ट्रांसफर करने और जमानत देने की गुहार लगाई थी. लेकिन उन्हें यहां से भी कोई राहत नहीं मिल पाई.
शीर्ष अदालत ने सुप्रीम कोर्ट की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें अनुच्छेद 32 के तहत राहत की मांग की गई थी. यूट्यूबर मनीष कश्यप की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तमिलनाडु एक शांत राज्य है. आपने वहां अशांति फैलाने की कोशिश की है. इसी के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु और बिहार में दर्ज मामलों को एक साथ जोड़ने से मना कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने जमानत और तमिलनाडु सरकार की तरफ से लगाया गया NSA हटाने पर भी आदेश नहीं दिया. साथ ही सर्वोच्च अदालत ने राहत के लिए हाईकोर्ट जाने का भी निर्देश दे दिया.
अनुच्छेद 32 में ये कहा गया है...
संविधान में अनुच्छेद 32 का जिक्र मौलिक अधिकारों से जुड़ा है। अनुच्छेद 32 संवैधानिक उपचारों का अधिकार है। अनुच्छेद 32 मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की स्थिति में व्यक्तियों को न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट में जाने का अधिकार देता है। संविधान में संवैधानिक उपचारों का अधिकार स्वयं में कोई अधिकार न होकर अन्य मौलिक अधिकारों की रक्षा का उपाय है। इसके अंतर्गत कोई भी व्यक्ति मौलिक अधिकारों के हनन की स्थिति में न्यायालय की शरण ले सकता है। संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर ने अनुच्छेद 32 को संविधान का सबसे महत्त्वपूर्ण अनुच्छेद बताते हुए कहा था कि इसके बिना संविधान अर्थहीन है, यह संविधान की आत्मा और हृदय है।