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- Tue, 03rd Dec, 2024
ईरान ने रविवार को इजराइल पर सैकड़ों मिसाइलों और ड्रोन से हमला किया. ईरान का यह आक्रमण सफल नहीं हो सका. इजराइल की वायु रक्षा प्रणाली ने इन सभी मिसाइलों और ड्रोनों को हवा में ही नष्ट कर दिया. यह पहली बार है जब ईरान ने इजराइल पर इस तरह सीधे हमले की हिमाकत की है. अमेरिका और अन्य सहयोगियों की मदद से इजराइल ने ईरान की हमले की योजना को विफल कर दिया. ईरान के दुस्साहस का जवाब इसराइल कैसे देगा? इसे लेकर तरह-तरह की संभावनाएं व्यक्त की जा रही हैं. ईरान के हमले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की अध्यक्षता में इजराइल की युद्ध कैबिनेट की बैठक हुई. युद्ध मंत्रिमंडल की राय थी कि ईरान के ख़िलाफ़ जवाबी कार्रवाई की जानी चाहिए. लेकिन हमला कब और कितनी तीव्रता से करना है? इस पर मतभेद हैं. इसलिए बैठक बिना किसी निर्णय के आयोजित की गई.
इस बीच अमेरिका के जो बाइडन प्रशासन की भूमिका है कि तनाव और न बढ़े. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने बेंजामिन नेतन्याहू को समझाया कि, "अगर इजराइल अब जवाबी कार्रवाई करता है, तो कोई सैन्य सहायता नहीं दी जाएगी." अमेरिका के इस रुख पर इजरायल के पूर्व प्रधानमंत्री नेफ्ताली बेनेट ने अपना गुस्सा जाहिर किया है. बेनेट ने कहा, "किसी ने अमेरिका पर 350 मिसाइलें दागीं, उसके बाद इजरायल को भी ऐसा ही करना चाहिए." “अमेरिकी प्रशासन हमें बता रहा है कि आपने ईरानी हमले को रोककर जीत हासिल की है. लेकिन ये इसराइल की जीत नहीं है. नेफ्ताली बेनेट ने कहा, ईरान को सबक सिखाने की जरूरत है.
इसके बिना इजराइल भी संभव नहीं होता
इजराइल पर ईरान के हमले के बाद ब्लिंकन ने तुर्की, मिस्र, जॉर्डन और सऊदी अरब के विदेश मंत्रियों से फोन पर बातचीत की. इजरायली नेताओं ने ईरानी हमले को विफल करने का श्रेय अंतरराष्ट्रीय सैन्य गठबंधन को दिया. यह समन्वय के कारण संभव हो सका. इजराइल ने कहा है कि यह रणनीतिक साझेदारी की शुरुआत है. सहयोगियों की मदद के बिना इजराइल भी इतने बड़े हमले को नाकाम नहीं कर सका.