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- Thu, 21st Nov, 2024
भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के चार अंतरिक्ष यात्रियों के नाम सामने आ गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चारों अंतरिक्ष यात्रियों को एस्ट्रोनॉट विंग्स पहनाए. ये चारों भारतीय वायुसेना के टेस्ट पायलट हैं. इन चारों के नाम ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर, अंगद प्रताप, अजीत कृष्णा और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला हैं. ये चारों अनुभवी वैज्ञानिक हैं. ये चारों हर तरह के फाइटर जेट उड़ा चुके हैं. उन्हें हर फाइटर जेट की कमी और खासियत पता है. इसीलिए इन चारों को गगनयान अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण के लिए चुना गया.
वर्तमान में केवल चार ही बेंगलुरु अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण ले रहे हैं.
गगनयान मिशन के लिए सैकड़ों पायलटों का परीक्षण किया गया. इसके बाद कुल 12 पायलटों का चयन किया गया. ये 12 प्रथम स्तर पर आये. उनका चयन इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन (आईएएम) में हो गया. इसके बाद चयन प्रक्रिया के कई दौर हुए. इसके बाद इसरो और आईएएफ ने इन चारों के नाम तय किए हैं. इन चारों को इसरो ने 2020 की शुरुआत में रूस भेजा था. वहां उन्हें बुनियादी अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण मिला. कोविड-19 के कारण उनकी ट्रेनिंग में देरी हुई. प्रशिक्षण 2021 में पूरा हुआ. इसके बाद ये चारों लगातार ट्रेनिंग कर रहे हैं. प्रशिक्षण विभिन्न प्रकार के होते हैं.
इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (एचएसएफसी) में विभिन्न प्रकार के सिम्युलेटर स्थापित किए जा रहे हैं. उनमें से चार वहां अभ्यास कर रहे हैं. ये चारों मिशन गगनयान के लिए नहीं जाएंगे. इनमें से 2 से 3 मिशनों को गगनयान के लिए चुना जाएगा. LVM-3 को H-LVM3 में रूपांतरण की आवश्यकता है. इसका मतलब है कि चालक दल पृथ्वी से 400 किमी ऊपर एक गोलाकार कक्षा में पहुंच सकता है. यहां H का मतलब ह्यूमन रेटेड है. रॉकेट का नाम HRLV होगा. यानी ह्यूमन रेटेड लॉन्च व्हीकल.
सारा ध्यान क्रू एस्केप सिस्टम पर
इस रॉकेट में सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है. यानी क्रू एस्केप सिस्टम. इसका मतलब है कि क्रू मॉड्यूल किसी भी खतरे की स्थिति में अपने अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित वापस ला सकता है. किसी भी स्तर पर रॉकेट में कुछ गड़बड़ी होने पर अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित रखा जा सकता है. किसी भी आपातकालीन स्थिति में, क्रू मॉड्यूल को अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर समुद्र में दुर्घटनाग्रस्त हो जाना चाहिए. वैज्ञानिक चार से पांच तरह के खतरों की पहचान करते हैं और उन पर काम करते हैं.