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रोहिंग्या मुसलमानों का एक समुदाय है। म्यांमार के रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों की एक बड़ी आबादी रहती है। रोहिंग्या मुसलमान दावा करते हैं कि वे म्यांमार के मुस्लिमों के वंसज है। मगर म्यांमार इन्हें बंग्लादेशी घुसपैठिया बताता है। रोहिंग्याओं के साथ अत्याचार कोई नई बात नहीं है। जिस भी देश में यह शरणार्थी बनकर शरण लेने जाते हैं वहां ही इन्हें अत्याचार का सामना करना पड़ता है। यही वजह है कि यूनाइटेड नेशन्स रिफ्यूजी एजेंसी UNHCR ने साल 2021 में, बांग्लादेश में बसे रोहिंग्या मुस्लिमों की हालत पर सवाल उठाते हुए उनकी तुलना कैदियों से कर दी थी। इनकी आबादी 10 लाख से कुछ ज्यादा बताई जाती है। लगातार सैन्य शासन के बाद थोड़े स्थिर हुए इस देश में जनगणना के दौरान रोहिंग्याओं को शामिल नहीं किया गया। कहा गया कि वे बांग्लादेश से यहां जबरन चले आए और उन्हें लौट जाना चाहिए।
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शादी के नाम पर हो रहा दुष्कर्म
म्यांमार और पड़ोसी बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में बिगड़ते हालात के कारण रोहिंग्या लड़कियां मलेशिया पहुंची है। जानकारी के मुताबिक, बड़ी संख्या में कम उम्र की रोहिंग्या लड़कियां रोहिंग्या पुरुषों के साथ विवाह करने के लिए मलेशिया जा रही हैं। वहां अक्सर उनके साथ दुर्व्यवहार होता है। बातचीत के दौरान लड़कियों ने बताया कि, उनके पति उन्हें कभी बाहर नहीं जाने देते हैं। वहीं कई लड़कियों ने यह भी कहा कि मलेशिया की यात्रा के दौरान उन्हें पीटा गया और उनके पतियों ने ही उनके साथ दुर्व्यवहार किया।
म्यांमार में रोहिंग्यों की हत्या कर दी गई
साल 2012 में म्यांमार के रखाइन राज्य में सांप्रदायिक हिंसा भड़की और सैंकड़ों की तादाद में रोहिंग्या मुसलमानों की हत्या कर दी गई। जान बचाने के लिए बड़े पैमाने पर रोहिंग्या मुसलमानों ने सीमा से सटे देशों में पलायन शुरू कर दिया। आंकड़ों की मानें तो करीब 7 लाख से अधिक रोहिंग्या जान बचाने की फिराक में म्यांमार छोड़कर बांग्लादेश की तरफ भाग गए। इस दौरान बांग्लादेश के रास्ते हजारों की संख्या में रोहिंग्या भारत में भी अवैध तरीके से घुसपैठ कर गए और रहने लगे।
TNP न्यूज़ से निवेदिता राय की रिपोर्ट