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- Thu, 21st Nov, 2024
भारत के कुछ शहरों की पहचान आईटी शहरों के रूप में की गई है. पुणे, बैंगलोर, हैदराबाद को सूचना और प्रौद्योगिकी शहरों के रूप में जाना जाता है. बेंगलुरु में पानी की स्थिति गंभीर हो गई है. शहर में सॉफ्टवेयर इंजीनियरों और लोगों को नहाने के लिए तो दूर, मुंह धोने के लिए भी पानी नहीं मिलता है. इसके चलते कई कर्मचारियों ने ऑफिस आने से इनकार कर दिया है. इसका असर कंपनियों के रोजमर्रा के कामकाज पर पड़ रहा है. कर्मचारियों के ऑफिस नहीं आने से कंपनियों के लिए नया संकट खड़ा हो गया है. इसका उद्योगों पर भारी असर पड़ा है.
पानी के लिए कतार
बैंगलोर शहर को भारत की सिलिकॉन वैली कहा जाता है. बेंगलुरु में विप्रो, इंफोसिस जैसी प्रमुख आईटी कंपनियों का मुख्यालय है. लेकिन शहर में रोजाना जल संकट खड़ा हो रहा है. सभी इलाकों में नलों से पानी नहीं आता है. टैंकरों के लिए लंबी कतारें लग रही हैं. शहर के विस्तार और जनसंख्या में वृद्धि के कारण शहर में पानी की कमी उत्पन्न हो गई है. इसके अलावा, पिछले कुछ वर्षों में शहर में पर्याप्त वर्षा नहीं हुई है। इन सभी कारकों ने पानी को प्रभावित किया है.
सोशल मीडिया पर वीडियो
सोशल मीडिया पर बेंगलुरु में पानी की गंभीरता को दिखाने वाले कई वीडियो आए हैं. पानी की कमी के कारण पानी की राशनिंग कर दी गई है. हाउसिंग सोसायटियों ने पानी को लेकर एडवाइजरी जारी की है. लोग काम-काज छोड़कर पानी लेने के लिए कतारों में खड़े हो रहे हैं. इसके चलते कर्मचारी कार्यालय आने से इनकार कर रहे हैं. इसके चलते कंपनियों को फिर से रिमोट वर्किंग शुरू करनी पड़ रही है.
बेंगलुरु शहर के 13,900 बोरों में से 6,900 बोरों में पानी की एक बूंद भी नहीं है. यह बोरवेल पूरी तरह से सूख चुका है. इससे शहर में चिंता का माहौल है. पिछले पांच सालों में बेंगलुरु की 70 फीसदी हरियाली खत्म हो गई है. बताया जा रहा है कि अगले चार दिनों तक शहर में पानी की स्थिति ऐसी ही बनी रहेगी.