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- Thu, 21st Nov, 2024
असम सरकार ने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण कानून 1930 को निरस्त कर दिया है. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफ्रॉम एक्स पर इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि असम कैबिनेट ने सदियों पुराने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम को निरस्त करने का एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया. बता दें सरकार ने बहुविवाह रोकने के लिए कानून बनाने की तैयारी पहले से कर ली थी. इसके लिए हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज वाली एक विशेष समिति बनाई थी. समिति की रिपोर्ट के अनुसार इस्लाम में मुस्लिम पुरुषों की 4 महिलाओं से शादी परंपरा अनिवार्य नहीं है. अब मुस्लिम विवाह और तलाक का रजिस्ट्रेशन डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर और डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार द्वारा किया जाएगा.
UCC की ओर राज्य का पहला कदम !
कैबिनेट मंत्री जयंत मल्ला बरुआ ने इसे ucc की दिशा में एक अहम कदम बताया. उन्होंने कहा कि हमारे cm ने पहले ही घोषणा की थी कि असम ucc लागू करेगा. आज हमने मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण कानून को निरस्त करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. उन्होंने आगे कहा कि हमारे पास एक स्पेशल मैरिज एक्ट है, इसलिए हम चाहते हैं कि सभी मामले उस एक्ट के जरीए सुलझाएं जाएं.
असम सरकार देगी 2 लाख का मुआवजा
मंत्री जयंत बरुआ ने बताया कि असम में वर्तमान में 94 अधिकृत व्यक्ति हैं. जो मुस्लिम विवाह और तलाक का पंजीकरण कर सकते हैं. लेकिन कैबिनेट के फैसले के साथ, जिला अधिकारियों के निर्देश जारी करने के बाद उनका अधिकार खत्म हो जाएगा. बरुआ ने बताया जो लोग विवाह और तलाक का पंजीकरण करके आजीविका कमा रहे थे. इसलिए राज्य कैबिनेट ने 2 लाख का मुआवजा देने का निर्णय लिया गया है. असम सरकार ने राज्य में मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट 1935 को खत्म कर दिया है. इसी के साथ असम में ucc लागू करने के दिशा में भी सरकार के इस फैसले को देखा जा रहा है.