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- Thu, 21st Nov, 2024
उत्तर प्रदेश के नोएडा से रियल एस्टेट सेक्टर से जुडी बड़ी खबर सामने आई है. जिसमें एमएमआर ग्रुप के डायरेक्टर मोहित राघव धोखाधड़ी, जालसाजी, गबन और आपराधिक षड्यंत्र जैसे गंभीर आरोप लगे है. अब इन्हें दिल्ली अदालत ने करीब 300 फ्लैट खरीदारों से 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी के मामले में मोहित राघव की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. इस मामले में सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट तीस हजारी कोर्ट के विशेष न्यायाधीश (एनडीपीएस) संजीव कुमार ने सुनवाई की. बता दें ये मामला दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने मोहित राघव और उनके सहयोगी दीपक मिगलानी के खिलाफ दर्ज किया है.
मोहित राघव के वकील ने मांगी मांफी
अब इस मामले में मोहित राघव के वकील संभव जैन ने दलील देते हुए कहा कि प्रकरण पिछले चार वर्षों से लंबित है. उनका मुव्वकिल जांच में शामिल हो रहा है. कई घर खरीदारों के साथ समझौता किया और उनके पैसे वापस कर दिए हैं. आरोपी आवेदक ने कोई पैसा नहीं निकाला है. आरोपी के खिलाफ एनबीडब्ल्यू चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (सीएमएम) ने रद्द कर दिया है. उनका कहना है कि शुरू से ही घर खरीदारों को धोखा देने का कोई इरादा नहीं था और कुछ परियोजनाओं का निर्माण किया है. वहीं इसके बाद ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने प्लॉट का आवंटन रद्द कर दिया था, लेकिन बाद में इसे बहाल कर दिया गया.
मोहित के वकील का कहना है कि आरोपी ने कुछ घर खरीदारों के साथ मामला को सुलझा लिया है. शिकायतकर्ता सहित शेष घर खरीदारों के साथ मामले को निपटाने के लिए तैयार है. उनका कहना है कि आरोपी फरार नहीं है और जब भी जांच अधिकारी को इसकी आवश्यकता होगी, वह उपस्थित होता रहा है. वहीं अब राज्य के अतिरिक्त लोक अभियोजक बलबीर सिंह जमानत याचिका का विरोध किया है. बता दे आरोपी ने कंपनी ने 14 जून 2014 को पहले बिल्डर बायर्स एग्रीमेंट (बीबीए) पर हस्ताक्षर किए. जबकि साइट प्लान 24 जून 2015 को स्वीकृत किया गया था. आरोपी मोहित राघव घर खरीदारों से लिए गए 15 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं दे पाया है. इस राशि का गबन कर लिया गया है.
वहीं अब इस मामले में आर्थिक अपराध शाखा से शिकायत करने वाले घर खरीदारों के वकील प्रतीक कुमार ने जमानत अर्जी का विरोध किया है. उनका कहना है कि आरोपियों ने मुद्दे के निपटारे के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. आरोपी 300 से अधिक घर खरीदारों के साथ धोखाधड़ी करने के लिए जिम्मेदार है, जो सभी सरकारी कर्मचारी हैं. घर खरीदने के लिए उन्होंने बैंकों से ऋण लिया है. अब आरोपी अपनी शर्तों पर समझौता करने के लिए दबाव डाल रहे हैं. घर खरीदार 8-9% प्रतिशत की दर पर ब्याज भुगतान कर रहे हैं. उन्हें केवल 2-3% की दर पर ब्याज लेकर समझौता करने के लिए मजबूर किया गया है. आरोपी व्यक्तियों ने हाउसिंग अपार्टमेंट के निर्माण के लिए रखी गई 100 करोड़ से अधिक राशि की हेराफेरी की है.