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हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। किसी भी पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा का खास महत्व है। पूर्णिमा के दिन पूजा, व्रत और दान करने से व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है। हर महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस बार मार्गशीर्ष पूर्णिमा 26 दिसंबर को है। पूर्णिमा तिथि सुबह 5 बजकर 46 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन 27 दिसंबर, सुबह 6 बजकर 2 मिनट पर हो जाएगा। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने का भी विधान होता है। इस दिन भगवान विष्णु को पूजा के दौरान विशेष भोग लगाए जाते हैं। ऐसा करने से भगवान विष्णु खुश हो कर भक्तों पर सदैव अपनी कृपा बनाए रखते हैं। आइए विस्तार में जानते हैं भोग से लेकर पूजा विधि तक सबकुछ।
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मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजा विधि
* पूर्णिमा पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगाजल से स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें
* सके बाद भगवान सूर्यदेव को जल का अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प लें
* चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी जी की मूर्ति स्थापित करें
* अब दीपक जलाएं और फूल, सिंदूर, फल, रोली, मेवा और पंचामृत अर्पित करें
* अब सत्यनारायण की कथा का पाठ करें
* अब आरती कर के भोग लगाएं और अंत में सभी को प्रसाद बाटें
मार्गशीर्ष पूर्णिमा महत्व एंव भोग
शास्त्रों में मार्गशीर्ष पूर्णिमा मोक्षदायिनी पूर्णिमा कहलाती है। मान्यता है कि इस दिन किए जाने वाले दान से अन्य पूर्णिमा की तुलना में 32 गुना अधिक पुण्य प्राप्त होता है। यदि कोई चाहता है कि उसके जीवन से हर प्रकार के संकट दूर रहे तो मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी को विशेष रूप से पानी वाले नारियल का भोग लगाएं। नारियल और खीर के अलावा पीले रंग की मिठाई खरीदकर लाएं और भगवान विष्णु को अर्पित करें। भोग में तुलसी दल शामिल करना बेहद शुभ मानते हैं। ऐसा करने से भगवान विष्णु बेहद प्रसन्न हो सकते हैं।
TNP न्यूज़ से निवेदिता राय की रिपोर्ट