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Gyanvapi Case Update: वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में बड़ी खबर सुनने को मिली है. जिला जज द्वारा तहखाने के परिसर स्थित व्यास तहखाने में पूजा की अनुमति मिलने के बाद जहां एक ओर पूजा की जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष ने इसको रुकवाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजे पर दस्तक दी है. इस मामले को लेकर आज ज्ञानवापी मस्जिद की इंतजामिया कमेटी द्वारा दाखिल की गई याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई की है. इस सुनवाई में सबसे पहले यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का पक्ष रखा गया है. जिसमें वक्फ बोर्ड के वकील पुनीत गुप्ता ने अपनी दलीलें पेश की है.
वहीं इस मामले में मुस्लिम पक्ष के वकील ने दावा किया कि कभी भी तहखाना हिंदू पक्ष के कब्जे में नहीं था. हिंदू पक्ष की तरफ से किया गया ये दावा पूरी तरह गलत है. बता दें कि ये सुनवाई जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच में की गई. हालांकि आज यूपी सरकार को भी अपना जवाब दाखिल करना था, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर चल रही सुनवाई आज भी पूरी नहीं हुई. अब 15 फरवरी को अगली सुनवाई का समय रखा गया है. वहीं पूजा पर कोई रोक नहीं है हिंदू पक्ष पूजा जारी रख सकता है.
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क्या है हिंदू पक्ष का दावा
दरअसल 31 जनवरी को वाराणसी की जिला अदालत ने यूपी के वाराणसी में ज्ञानवापी के व्यास जी तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा-पाठ की आदेश दिए हैं. ये आदेश मिलते ही यहां जिला प्रशासन ने पूजा शुरू करा दी है. बता दें की ये तहखाना काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के ठीक बराबर में ही है. ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष की ओर से दावा करते हुए कहा गया कि साल 1993 से यहां सोमनाथ व्यास का परिवार पूजा करता आया है.
जिसके बाद दिसंबर 1993 में ही मुलायम सिंह यादव सरकार ने यहां पूजा रुकवा दी थी और अब जिला अदालत ने अपना फैलला साफ कर दिया है. वहीं कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद अब हिंदू पक्ष का कहना है कि 30 साल बाद अब उनको इंसाफ मिला है. इस तहखाने में हिंदू धर्म के देवी देवताओं की बहुत पुरानी मूर्तियां मौजूद हैं. बता दें कि एएसआई के सर्वे के बाद अब हिंदू मंदिर होने के तमाम साक्ष्य मिले हैं. इसी के आधार पर जिला कोर्ट ने हिंदूओं के पक्ष में फैसला सुनाते हुए पूजा का अनुमति दी थी. इसी के साथ ही एएसआई रिपोर्ट भी सामने आ चुकी है. हालांकि अब मुस्लिम पक्ष लगातार पूजा रुकवाने का प्रयास कर रहा है.
TNP न्यूज़ से अमजद खान की रिपोर्ट.