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- Thu, 21st Nov, 2024
किसान एक बार फिर मोदी सरकार के खिलाफ खड़े हो गए हैं. 2020 में किसानों को इस सरकार की नाक के नीचे ला दिया गया. किसानों को विश्वास में लिए बिना तीन कानून पारित किए गए। आख़िरकार सरकार झुकी और इन कानूनों को वापस ले लिया. लेकिन संघर्ष ख़त्म नहीं हुआ. किसानों ने अपनी मांगों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए एक बार फिर दिल्ली बॉर्डर पर आकर धरना दे दिया है. आइए जानें कि आखिर अन्नदाताओं और केंद्र सरकार के बीच आखिर शिकायत क्या है , क्यों नहीं सुलझ रही ये दुविधा.
200 किसान संगठन एकजुट
किसान दिल्ली बॉर्डर के लिए रवाना हो गए हैं. पंजाब हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर किसानों और पुलिस के बीच झड़प हो गई. इसमें कई किसान घायल हो गये हैं. हालात को बिगड़ने से रोकने के लिए हरियाणा के 7 और राजस्थान के 3 जिलों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है. 200 किसान संगठन दिल्ली बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं.
किसान नेताओं के सोशल मीडिया अकाउंट सस्पेंड
किसान नेता सुरजीत फूल और रणदीप मान के एक्स अकाउंट सस्पेंड
दिल्ली में धारा 144 लागू कर दी गई
जिला प्रशासन ने किसानों को 10 लीटर से अधिक डीजल नहीं देने का आदेश दिया है
हरियाणा के 12 जिलों में इंटरनेट बंद कर दिया गया
सड़क पर कीलें, बैरिकेड्स
संयुक्त किसान मोर्चा ने आज किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर 13 फरवरी को राजधानी दिल्ली में मार्च का आह्वान किया है. इस पृष्ठभूमि में, दिल्ली की सीमाओं को एक बार फिर बैरिकेड्स और कीलों से भर दिया गया है. शंभू, खनौरी समेत हरियाणा और पंजाब की सीमाओं पर बैरिकेड्स लगा दिए गए हैं. पिछले आंदोलन का केंद्र बिंदु रहे सिंघू और टिकरी बॉर्डर पर सीमेंट के बैरिकेड लगाए गए हैं. अगर आम चुनाव से पहले किसानों का आंदोलन जारी रहा तो लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को बड़ा झटका लग सकता है.
मीटिंग में क्या हुआ?
किसानों की मांगों पर केंद्र सरकार के साथ हुई बैठक में कोई समाधान नहीं निकला. बैठक में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और अर्जुन मुंडा मौजूद रहे. किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों की मांगों को लेकर गंभीर नहीं है.
क्या हैं किसानों की मांगें?
TNP न्यूज़ से DIMPLE YADAV की रिपोर्ट.