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- Thu, 21st Nov, 2024
केंद्र ने नये ईसी नियुक्ति कानून का बचाव किया नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित कानून को निलंबित करने की मांग वाली याचिकाओं का विरोध किया है . आज सुप्रीम कोर्ट एक बार फिर इस मामले पर सुनवाई करेगा . सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कानून मंत्रालय ने हलफनामा दिया. कानून मंत्रालय ने कहा है कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से जुड़े पैनल में जज का होना जरूरी नहीं है. चुनाव आयोग एक स्वतंत्र निकाय है और इसकी स्वतंत्रता चयन समिति में किसी न्यायिक सदस्य की मौजूदगी से नहीं आती है. इस बीच याचिकाकर्ता कांग्रेस नेता जया ठाकुर और एडीआर ने 14 मार्च को दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर सवाल उठाए थे.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में क्या कहा है?
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि चयन समिति में न्यायिक सदस्य की मौजूदगी से चुनाव आयोग को स्वतंत्रता नहीं मिलती है. इसी प्रकार, चयन समिति में वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों की उपस्थिति स्वचालित रूप से समिति को पक्षपातपूर्ण मानने का आधार नहीं हो सकती. सरकार का कहना है कि यह माना जाना चाहिए कि उच्च संवैधानिक प्राधिकारी जनहित के अच्छे इरादों के साथ निष्पक्ष रूप से कार्य करते हैं.
याचिकाकर्ताओं की यह राय गलत है कि चयन समिति में कोई न्यायिक सदस्य नहीं है. चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर अंतरिम रोक की मांग का विरोध करते हुए केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में यह जानकारी दी. सुप्रीम कोर्ट मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर रोक लगाने और सेवा शर्त अधिनियम, 2023 के तहत नियुक्ति की मांग वाली याचिका पर गुरुवार यानी आज सुनवाई करने वाला है.
नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन
कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति और सेवा की शर्तें अधिनियम, 2023 में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए चयन समिति से भारत के मुख्य न्यायाधीश को बाहर करने को चुनौती देते हुए एक आवेदन दायर किया है. कहा जा रहा है कि यह चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है. एनजीओ एडीआर ने भी नये कानून के तहत नियुक्तियों पर रोक लगाने की मांग की है. अर्जी में कहा गया है कि मुख्य कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर अंतिम फैसला आने तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप नियुक्तियां की जाएं.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार का नया कानून?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए चयन समिति में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति बनाने की बात कही गई थी. बैठक में प्रधानमंत्री के अलावा विपक्ष के नेता और मुख्य न्यायाधीश को भी शामिल करने पर चर्चा की गई. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार ने नया कानून बनाया है. जिसमें चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए गठित तीन सदस्यीय चयन समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता या पार्टी के नेता शामिल होते हैं. सबसे बड़ी पार्टी द्वारा नामित कैबिनेट मंत्रियों और प्रधान मंत्री और मुख्य न्यायाधीश को इस चयन समिति से बाहर रखा गया है. कोर्ट ने इस अर्जी पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.
चुनाव आयुक्तों की रिक्तियों को तत्काल भरने की जरूरत: केंद्र सरकार
केंद्र सरकार की ओर से बुधवार को दाखिल हलफनामे में कानून पर अंतरिम रोक की मांग का विरोध किया गया है. केंद्र सरकार ने याचिकाकर्ताओं की इस दलील का भी विरोध किया है कि 14 मार्च को दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति जल्दबाजी में की गई क्योंकि मामला अदालत में लंबित था. सरकार ने चुनाव आयुक्त के रिक्त पद की समय सीमा और उसे भरने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया बता दी है. सरकार ने कहा है कि लोकसभा चुनाव और चार विधानसभाओं के चुनाव को देखते हुए चुनाव आयुक्तों के खाली पदों को तत्काल भरना जरूरी है.