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असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने केंद्रीय नेतृत्व को चेतावनी दी है कि अगर एनआरसी के लिए आवेदन नहीं करने वाले एक भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता मिलती है तो वह इस्तीफा दे देंगे. असम में CAA के खिलाफ विपक्षी पार्टियां प्रदर्शन कर रही हैं . उस वक्त मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ये बयान दिया है. लिहाजा राज्य में इसकी जोरदार चर्चा शुरू हो गई है. असम में विपक्षी दलों ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) -2019 के कार्यान्वयन पर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए राज्य में सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है.
हालांकि, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सीएए पर अलग रुख अपनाया है. उन्होंने कहा कि अगर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के लिए किसी गैर-आवेदक को नागरिकता दी गई तो वह इस्तीफा देने वाले पहले व्यक्ति होंगे. नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के अनुसार, 31 दिसंबर, 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों के लोग) को अनुमति दी जाएगी.
हिमंत बिस्वा सरमा ने आगे कहा, 'मैं असम का बेटा हूं. अगर एनआरसी के लिए आवेदन नहीं करने वाले एक भी व्यक्ति को नागरिकता मिलती है, तो मैं इस्तीफा देने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा. अगर सीएए लागू हुआ तो लाखों लोग राज्य में प्रवेश करेंगे. अगर ऐसा हुआ तो मैं विरोध करने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा.' सीएए में कुछ भी नया नहीं है. क्योंकि, इसे पहले लागू किया गया था. तो अब समय आ गया है पोर्टल पर आवेदन करने का. उन्होंने कहा कि पोर्टल पर डेटा से यह स्पष्ट हो जाएगा कि कानून का विरोध करने वालों के दावे सही हैं या गलत.
एनआरसी क्या है?
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी सभी भारतीय नागरिकों का पंजीकरण करता है. इसे 2003-2004 में संशोधित नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत बनाया गया था. हालाँकि, असम राज्य को छोड़कर इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है. असम रजिस्टर 1951 की जनगणना के बाद तैयार किया गया था. इसमें जनगणना के दौरान गणना किए गए सभी व्यक्तियों का विवरण शामिल था. केवल 25 मार्च 1971 से पहले असम में रहने वाले भारतीयों के नाम शामिल किए जा रहे हैं. हालांकि, उसके बाद राज्य में आए बांग्लादेशी या अन्य नागरिकों को यहां से वापस भेजा जा रहा है.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के बयान का साफ मतलब है कि जिन लोगों के नाम एनआरसी में नहीं हैं. या फिर जिन लोगों ने एनआरसी के लिए आवेदन नहीं किया है उन्हें सीएए के तहत असम में नागरिकता नहीं दी जाएगी. हिमंत बिस्वा सरमा के इस विरोध के कारण बांग्लादेश से आने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता नहीं मिलेगी.