- 34ºc, Sunny
- Thu, 21st Nov, 2024
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार संकट में है. राज्यसभा चुनाव के बाद हुए घटनाक्रम ने कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है. लेकिन आखिरकार कांग्रेस की ओर से एक फैसला लिया गया है. हिमाचल के छह कांग्रेस विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी गई है. हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतपाल पठानिया ने यह फैसला सुनाया. राज्यसभा चुनाव में बगावत करने और क्रॉस वोटिंग करने के आरोप में सभी 6 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया है. यह कार्रवाई दल-बदल विरोधी कानून के तहत की गई.
इस विधायक को अयोग्य घोषित कर दिया गया
कांग्रेस विधायक सुधीर शर्मा (धर्मशाला), राजिंदर राणा (सुजानपुर), इंद्र दत्त लखनपाल (बड़सर), रवि ठाकुर (लाहौल स्फीति), चैतन्य शर्मा (गगरेट), देविंदर भुट्टो (कुटलैहड़) की सदस्यता रद्द कर दी गई है। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने कहा कि पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने पर उन पर दल-बदल विरोधी कानून के प्रावधान लागू होते हैं. इसलिए उनकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी गई है.
अब बहुमत का आंकड़ा क्या है?
क्या बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का संकट कम हो जाएगा? यही असली सवाल है. क्योंकि 68 सदस्यीय हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा बदल गया है. 6 लोगों की सदस्यता समाप्त होने के बाद सदन में 62 सदस्य बचे हैं. अब सरकार को बहुमत के लिए 32 विधायकों की जरूरत है, जबकि कांग्रेस के पास अब 34 विधायक बचे हैं.
क्या टला सरकार पर संकट?
बीजेपी के पास 25 विधायक हैं और अब उन्हें 3 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन मिल गया है. कांग्रेस के पास अब भी संख्या बल नजर आ रहा है. लेकिन पार्टी में फूट और गुटबाजी अब भी दिख रही है. मंत्री विक्रमादित्य ने खुलकर मुख्यमंत्री सांखू का विरोध किया है. ऐसे में चर्चा है कि पार्टी में कई लोग वीरभद्र सिंह के साथ हैं. इससे कांग्रेस का असली संकट भविष्य में देखने को मिलेगा.
इस बीच अयोग्य ठहराए गए कांग्रेस के बागी विधायक हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं. विधानसभा अध्यक्ष का यह फैसला अंतिम नहीं है और इसके खिलाफ हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील की जा सकती है.