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- Thu, 21st Nov, 2024
देशभर में लोकसभा चुनाव के लिए सभी पार्टियां तैयारी कर रही हैं. बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए विपक्ष एकजुट हो गया है. हालांकि सीट बंटवारे को लेकर विरोधियों के बीच अंदरूनी कलह भी देखने को मिल रही है. जो पार्टियां बीजेपी के साथ हैं उनमें भी नाराजगी देखी जा रही है. बीजेपी 300 से ज्यादा सीटें जीतने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके लिए बीजेपी हर सीट पर मजबूत उम्मीदवार दे रही है. बीजेपी ने जिस तरह से कंगना राणावत और अरुण गोविल को उम्मीदवार बनाया उसने सभी को चौंका दिया. इसी तरह दक्षिण गोवा में पल्लवी डेम्पो को उम्मीदवार घोषित किया गया है. हालांकि विपक्ष ने इस पर बीजेपी पर जमकर निशाना साधा है. ऐसे उम्मीदवार को टिकट दे दिया जाता है जो स्थानीय और कोंकणी भाषा नहीं जानता. विपक्ष ने बीजेपी की कड़ी आलोचना करते हुए पूछा है कि वह लोगों की समस्याओं को कैसे समझेगी.
किसे टिकट देना यह पूरी तरह से बीजेपी का अधिकार है. लेकिन एक उद्योगपति की पत्नी को मौका देकर यह देखा गया कि बीजेपी अपनी पार्टी के वफादारों से ज्यादा उद्योगपति को महत्व देती है. बीजेपी ने ऐसे व्यक्ति को टिकट देकर थोपा है जिसकी कोई राजनीतिक या सामाजिक पृष्ठभूमि नहीं है. गोवा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गिरीश चोदनकर ने कहा कि इससे कांग्रेस को ही फायदा होगा.
दक्षिण गोवा कांग्रेस सीट पर कांग्रेस नेता फ्रांसिस्को सरदिन्हा का कब्जा है। डेम्पो को मैदान में उतारकर बीजेपी उनके ब्रैड का इस्तेमाल कर रही है. जहां उनकी पार्टी 1962 के बाद से केवल दो बार ही जीत सकी है। पल्लवी डेम्पो को मैदान में उतारकर बीजेपी ने मान लिया है कि उनकी पार्टी में महिलाओं सहित कोई भी उम्मीदवार नहीं है जो गोमकर मतदाताओं के सवालों का जवाब दे सके. गोवा फॉरवर्ड पार्टी के प्रमुख विजय सरदेसाई ने कहा कि दक्षिण गोवा को जीतने के लिए भाजपा डेम्पो ब्रांड पर भरोसा कर रही है, जो राजनीति में नया है.
विपक्ष ने बीजेपी द्वारा घोषित उम्मीदवार की आलोचना शुरू कर दी है. लेकिन बीजेपी द्वारा अपना उम्मीदवार देने के दो हफ्ते बाद भी कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. पल्लवी डेम्पो बीजेपी के कई महिला मार्च में हिस्सा ले चुकी हैं. विरोधी डेम्पो की योग्यता के बारे में बात कर रहे हैं क्योंकि उन्हें हार का डर है. बीजेपी के गोवा प्रवक्ता गिरिराज पई वर्नेकर ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि हमारे उम्मीदवारों के बारे में बात करने से पहले विपक्ष को अपनी आंतरिक कलह को सुलझाने पर ध्यान देना चाहिए, 4 जून को सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा. इस बीच सबकी नजर बीजेपी की ओर से घोषित उम्मीदवार पर टिकी है.