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एनसीईआरटी की 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में अयोध्या विवाद की सामग्री में बदलाव किया गया है. 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस का संदर्भ तीन स्थानों से हटा दिया गया है. यहां तक कि दंगों के संदर्भ में पीड़ितों के धर्म का जिक्र करने से भी परहेज किया जाता है. राम जन्मभूमि आंदोलन और 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जोर दिया गया है. साथ ही किताब से गुजरात दंगों वाला पैराग्राफ भी हटा दिया गया है. पिछली किताब में 'मुस्लिम विरोधी गुजरात दंगों' का जिक्र था. एक माह के भीतर सिलेबस में नई किताब आने की उम्मीद है.
एनसीईआरटी ने गुरुवार (4 अप्रैल) को अपनी वेबसाइट पर इन बदलावों की घोषणा की है. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से संबद्ध स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें उपयोग की जाती हैं. देश में सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध स्कूलों की संख्या करीब 30 हजार है. सीबीएसई बोर्ड के स्कूल भारत के लगभग हर हिस्से में स्थित हैं. आने वाले वर्षों में अन्य राज्य बोर्डों की किताबों में भी बदलाव देखने को मिलेंगे.
अयोध्या पर क्या लिखा?
एक रिपोर्ट के मुताबिक, बारहवीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक के 'भारत की राजनीति-नया अध्याय' के आठवें अध्याय से अयोध्या विवाद का पाठ हटा दिया गया है. इस अध्याय में 'राम जन्मभूमि आंदोलन और अयोध्या विवाद' पर विवादास्पद पाठ हटा दिया गया है. एनसीईआरटी का कहना है कि समय के साथ बदलाव किए गए हैं.
गुजरात दंगों के बाद विषय बदल गया
'भारत की राजनीति-नया अध्याय' अध्याय में बाबरी मस्जिद और 'हिंदू धर्म की राजनीति' के संदर्भ भी हटा दिए गए हैं. अध्याय में यह भी बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कैसे हुआ. 'लोकतांत्रिक अधिकार' शीर्षक वाले पांचवें अध्याय में गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया गया है. एनसीईआरटी का कहना है कि घटना 20 साल पुरानी है और इसका फैसला न्यायिक प्रक्रिया के जरिए हुआ है.