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दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक नोटिस थमाया है. उस नोटिस में उनसे वो सुबूत मांगे गए हैं जिनके आधार पर उन्होंने आरोप लगाया था कि बीजेपी उनके विधायकों को खरीद-फरोख्त करके तोड़ना चाहती है...कुछ दिनों पहले ही केजरीवाल ने भाजपा पर निशाना साधते हुए पूछा था कि बीजेपी ने दिल्ली में उनकी सरकार गिराने के लिए आप के सात विधायकों को 25-25 करोड़ रुपये देने की पेशकश की है. इसके बाद, दिल्ली की मंत्री आतिशी ने भी पिछले सप्ताह एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि बीजेपी ने दिल्ली में ‘ऑपरेशन लोटस 2.0’ शुरू किया है. आतिशी ने कहा, ‘‘उन्होंने आप विधायकों को पैसे की पेशकश कर अपने पाले में करने की इसी तरह की कोशिश पिछले साल भी की थी, लेकिन वे असफल रहे.’’ इसके बाद ही बीजेपी ने दिल्ली के पुलिस कमिश्नर से मुलाकात करके कार्रवाई की मांग की थी..नतीजा ये रहा कि क्राइम ब्रांच ने नोटिस दिया है और दिल्ली के सीएम से उनका पक्ष रखने की मांग की है.
आरजेडी-जेडीयू की सरकार हुई भंग
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने जो भी कहा है, वो पहली बार देश में नहीं सुना गया है. इसके पहले भी तमाम राज्यों में सत्ता परिवर्तन हुए और उन राज्यों में भी वही आरोप लगाए गए जिनमें किसी एक दल पर विधायकों को तोड़कर सत्ता हथियाने के आरोप लगाए गए. आपको अभी पिछले महीने ही बिहार राज्य में हुआ घटनाक्रम तो याद ही होगा. जिसमें आरजेडी-जेडीयू की सरकार भंग हो गयी और एक नए गठबंधन ने आकार लिया, जिसमें नए साथी बने बीजेपी-जेडीयू की सरकार बनी. बिहार विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या 243 है और बहुमत का जादुई आंकड़ा 122 है. बीजेपी के 78 और जेडीयू के 45 विधायकों के साथ आने के साथ ही यह संख्या 123 पहुंच जा गया. इसके अलावा हम पार्टी के चार और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन भी नीतीश कुमार को मिल चुका है. इस तरह नीतीश कुमार को 128 विधायकों का समर्थन प्राप्त हो गया है. इस दौरान भी लालू यादव खेमे की तरफ से आरोप लगाए गए कि विधायकों को तोड़ा गया है. हालांकि बीजेपी ने इसको गठबंधन की सफलता करार दिया है.
साल 2019 में बीजेपी से नाता तोड़कर बनाई सरकार
बिहार के पहले आपको महाराष्ट्र भी याद होगा, जहां सत्ता परिवर्तन को लेकर हाईवोल्टेज ड्रामा देखने को मिला था. उद्धव ठाकरे ने साल 2019 में बीजेपी से नाता तोड़कर कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार ही नहीं बनाई बल्कि खुद मुख्यमंत्री भी बन गए...ठाकरे परिवार से उद्धव पहले सदस्य थे, जो मुख्यमंत्री बने...हालांकि, वैचारिक विरोधी दलों के साथ हाथ मिलाने को लेकर सवाल भी खड़े हुए, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज़ होने के लिए उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया...उद्धव ठाकरे के लिए यही ढाई साल महंगे पड़े...एकनाथ शिंदे ने हिंदुत्व के एजेंडे से हटने और बाल ठाकरे के आदर्शों से भटकने का आरोप लगाते हुए विद्रोह कर दिया.. शिवसेना के दो तिहाई विधायकों को तोड़कर उन्होंने उद्धव को सत्ता से बेदखल कर दिया. उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा देकर अपने हथियार डाल दिए...इस दौरान भी महाविकास अघाड़ी की तरफ से आरोप लगाया गया कि विधायकों को खरीद-फरोख्त करके सरकार का गठन किया गया..लेकिन जिन विधायकों का जिक्र किया गया, उनमें से किसी ने भी उद्धव गुट की बात को स्वीकार नहीं किया..साथ ही खरीद-फरोख्त को सिरे से नकार दिया.
कांग्रेस ने लगाया था बीजेपी पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप
महाराष्ट्र से पहले कर्नाटक में भी सत्ता परिवर्तन का उदाहरण देखा गया था... यहां पर 2018 में बीजेपी ने 104 सीटें जीती थीं, लेकिन बहुमत से दूर रह गई थी...इसके बाद कुमारस्वामी राज्य के मुख्यमंत्री बने. लेकिन ये सत्ता का सुख ज्यादा समय तक नहीं रहा..एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को बीजेपी ने सत्ता से बेदखल कर दिया...इस पतन के बाद कांग्रेस के 14 और जद (एस) के तीन विधायकों के दलबदल के बाद 2019 में भाजपा सत्ता में आई..इस दौरान भी कांग्रेस ने बीजेपी पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया था.
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कर्नाटक के पहले भी एक सियासी फेरबदल देश के बड़े राज्यों में शुमार मध्य प्रदेश ने भी देखा.. यहां कांग्रेस पार्टी 2018 के विधानसभा चुनाव में जीत कर 15 साल बाद सत्ता में लौटी थी...उस वक़्त कांग्रेस के 114 विधायक जीते थे और बीजेपी के 109 लेकिन सिंधिया समर्थकों के विद्रोह के बाद बीजेपी के पास 106 विधायक थे तो कांग्रेस की संख्या 92 तक पहुंच गई है...230 सदस्यों वाली विधान सभा में सरकार बनाने के लिए 116 विधायकों का समर्थन ज़रूरी होता है...बस इसके बाद साल 2020 में सत्ता परिवर्तन के रास्ते खुल गए और कमलनाथ की जगह एक बार फिर से शिवराज सिंह चौहान सीएम बना दिए गए..इस दौरान भी विधायकों के अपहरण और खरीद-फरोख्त के आरोप लगाए गए...हालांकि जितने भी विधायक और मंत्री कमलनाथ को छोड़कर बेंगलुरु गए थे.
जो भी सियासी हालात दिल्ली के बने हुए है, इसमें कई बार ‘आप’ के द्वारा बीजेपी पर आरोप लगाए गए हैं..हालांकि अभी तक ना ही बीजेपी की तरफ से कोई सरकार बनाने का दावा पेश किया गया, ना ही आम आदमी पार्टी की तरफ से कोई सुबूत पेश किया गया जिससे कि खरीद-फरोख्त की बात सही साबित हो..इंतजार यही है कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को जो नोटिस दिया गया है, वो इसका संतोषजनक जवाब दे पाएं और बता पाएं कि उनके किए गए दावे में कितना दम है.
TNP न्यूज़ से अमजद खान की रिपोर्ट.