
गुजरात के जामनगर में बने वनतारा वाइल्डलाइफ सेंचुरी को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था। आरोप लगाया गया था कि यहां हाथियों और अन्य जानवरों को रखने में नियमों का पालन नहीं हो रहा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने खुद एक विशेष जांच टीम (SIT) बनाई थी। सोमवार को अदालत ने बताया कि SIT की रिपोर्ट में किसी भी तरह की गड़बड़ी सामने नहीं आई।
हाथियों की खरीद में सब कुछ नियमों के मुताबिक
सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस पंकज मिट्ठल और जस्टिस पी.बी. वाराले ने कहा कि SIT की जांच से साफ हुआ है कि हाथियों को वन विभाग से नियमों के अनुसार खरीदा गया और फिर वनतारा में सही तरीके से रखा गया। अदालत ने कहा – “अगर वनतारा पूरी प्रक्रिया का पालन कर रहा है तो इसमें गलत क्या है?”
सोशल मीडिया दावों पर बनी थी SIT
यह मामला तब चर्चा में आया था जब सोशल मीडिया पर हाथियों की खरीद-बिक्री और उनकी देखभाल पर कई तरह के दावे किए गए। इन्हीं दावों के आधार पर 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने SIT गठित करने का आदेश दिया था।
कौन-कौन थे SIT में
इस SIT में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जे. चेलमेश्वर, हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस राघवेंद्र चौहान, मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर हेमंत नागराले और पूर्व IRS अधिकारी अनीष गुप्ता शामिल थे। टीम ने 12 सितंबर को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। अदालत ने कहा कि यह रिपोर्ट संतोषजनक है, हालांकि वह इसे विस्तार से पढ़ने के बाद ही अंतिम फैसला सुनाएगी।
हरीश साल्वे का पलटवार
वनतारा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि SIT ने खुद वनतारा का दौरा किया था और पूरी टीम को हर चीज दिखाई गई। यहां जानवरों की देखभाल पर भारी खर्च किया जाता है और इसके लिए विशेषज्ञों की पूरी टीम मौजूद है।
साल्वे ने वनतारा पर सवाल उठाने वालों पर निशाना साधते हुए कहा, “विडंबना है कि जो लोग कभी शिकार की इजाजत देते थे, वही आज सवाल उठा रहे हैं।”
SAURABH DWIVEDI