
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई हाल ही में एक टिप्पणी को लेकर विवादों में आ गए। मामला खजुराहो के जवारी मंदिर से जुड़ा है, जहाँ भगवान विष्णु की सात फुट ऊँची मूर्ति के पुनर्निर्माण और पुनःस्थापना के लिए याचिका दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान, CJI गवई ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता भगवान विष्णु के सच्चे भक्त हैं, तो उन्हें “प्रार्थना और ध्यान” करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यह विषय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकार क्षेत्र में आता है और अदालत इसमें दखल नहीं दे सकती।
सोशल मीडिया पर बवाल
गवई की इस टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर विवाद बढ़ गया। कई हिंदू संगठनों और लोगों ने आरोप लगाया कि मुख्य न्यायाधीश ने उनकी आस्था का "मज़ाक" उड़ाया है। कुछ लोगों ने उनके खिलाफ महाभियोग तक की मांग कर दी। विश्व हिंदू परिषद (VHP) प्रमुख आलोक कुमार ने अदालत कक्ष में बोलते समय संयम बरतने की अपील की।
वकीलों का विरोध
कई वकीलों ने CJI गवई को पत्र लिखकर उनसे भगवान विष्णु और सनातन धर्म के खिलाफ कही गई टिप्पणी को वापस लेने की अपील की। उनका कहना था कि इस तरह के बयान करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को आहत करते हैं और न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुँचाते हैं।
CJI गवई ने कही ये बात
लगातार बढ़ते विवाद के बीच CJI गवई ने गुरुवार को अपना पक्ष स्पष्ट किया। उन्होंने कहा: "किसी ने मुझे बताया कि मेरी टिप्पणी को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से पेश किया गया है। मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूँ।" इस बयान से उन्होंने साफ कर दिया कि उनका उद्देश्य किसी भी धर्म या आस्था को ठेस पहुँचाना नहीं था।
Saurabh Dwivedi