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Azam Khan: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान को एक हफ्ते में लगातार तीसरी बार कोर्ट से राहत मिल गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें रामपुर के क्वालिटी बार पर अवैध कब्जे के मामले में जमानत दे दी है। इसके साथ ही आजम खान पर चल रहे लगभग सभी मामलों में उन्हें जमानत मिल चुकी है, जिससे अब उनके जल्द जेल से बाहर आने की संभावना है।
क्या है मामला?
यह मामला रामपुर के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र का है, जहाँ हाईवे पर स्थित सईद नगर हरदोई पट्टी में क्वालिटी बार पर अवैध कब्जा करने का आरोप है। यह एफआईआर साल 2019 में राजस्व निरीक्षक अनंगराज सिंह ने दर्ज कराई थी। शुरुआत में इस मामले में चेयरमैन सैयद जफर अली जाफरी, आजम खान की पत्नी डॉ. तजीन फातिमा और उनके बेटे व पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम खान को आरोपी बनाया गया था। बाद में पुलिस जांच के दौरान आजम खां को भी आरोपी बना दिया गया।
हाईकोर्ट में याचिका क्यों दायर की गई?
इस मामले में रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने आजम खान की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की। उनके वकील इमरानउल्लाह ने कोर्ट में दलील दी कि यह मामला राजनीतिक रंजिश का नतीजा है। एफआईआर 2019 में हुई थी लेकिन आजम खान को आरोपी पांच साल बाद 2024 में बनाया गया।
सरकार की दलील क्या थी?
सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आजम खान का लंबा आपराधिक इतिहास है। जब यह घटना हुई थी, तब वह नगर विकास मंत्री थे और उन्होंने अपने पद और प्रभाव का गलत इस्तेमाल किया।
कोर्ट का फैसला क्या रहा?
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फैसला आरक्षित कर लिया था और फिर गुरुवार को फैसला सुनाते हुए जमानत मंजूर कर ली। यह फैसला न्यायमूर्ति समीर जैन की सिंगल बेंच ने सुनाया।
इससे पहले क्या हुआ था?
10 सितंबर को डूंगरपुर मामले में आजम खान को हाईकोर्ट से जमानत मिली थी।
16 सितंबर को रामपुर की अदालत ने एक अवमानना के मामले में उन्हें बरी कर दिया था।
आजम खान के वकील का कहना है कि अब उनके खिलाफ दर्ज लगभग सभी मामलों में उन्हें जमानत मिल चुकी है और बहुत जल्द उनके जेल से रिहा होने की उम्मीद है।
Saurabh Dwivedi