.jpg)
भारत के अरबपति कारोबारी गौतम अडानी को SEBI की ओर से बड़ी राहत मिली है। हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों की जांच के बाद भारतीय शेयर बाजार की निगरानी संस्था SEBI ने अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए अडानी समूह को क्लीनचिट दे दी है। SEBI ने कहा कि अडानी समूह पर लगाए गए आरोप न तो नियमों का उल्लंघन साबित करते हैं और न ही इनमें किसी तरह की धोखाधड़ी पाई गई है।
सेबी की जांच में क्या निकला?
सेबी ने स्पष्ट किया है कि अडानी समूह द्वारा की गई जो डील्स विवाद का कारण बनीं, वो “संबंधित पक्ष लेनदेन” के दायरे में नहीं आती थीं — कम से कम उन नियमों के अनुसार जो उस समय लागू थे। हालांकि, बाद में साल 2021 में नियमों में बदलाव कर ऐसे लेनदेन को शामिल किया गया है।
सेबी ने कहा कि जांच के दौरान न तो कोई धोखाधड़ी, न गलत जानकारी और न ही धन के दुरुपयोग के सबूत मिले। इसके साथ ही, जिन लेनदेन की बात की गई थी, उन सभी में पैसा ब्याज सहित वापस भी कर दिया गया। इसलिए सेबी ने कहा कि जिन आरोपों पर कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे, वे टिक नहीं पाए।
सुप्रीम कोर्ट ने भी याचिका खारिज की
सेबी ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दायर याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने माना कि नियमों को तय करने की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं थी और सेबी द्वारा किए गए नियामकीय संशोधनों को रद्द करने का कोई वैध आधार नहीं है।
क्या था मामला?
बता दें कि 24 जनवरी 2023 में अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें अडानी समूह पर गंभीर वित्तीय अनियमितताओं और शेयर की कीमतों को कृत्रिम रूप से बढ़ाने के आरोप लगाए गए थे। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी।
हालांकि, अडानी समूह ने उस समय से ही इन सभी आरोपों को पूरी तरह खारिज किया है। समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी ने अपनी एजीएम (वार्षिक आम बैठक) में कहा था कि उन्होंने "एक विदेशी शॉर्ट सेलर द्वारा लगाए गए निराधार आरोपों का सामना किया है, जिसने हमारे दशकों की मेहनत पर सवाल उठाए।"
-Shraddha Mishra