
भारत निर्वाचन आयोग (EC) ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा "वोट चोरी" से संबंधित सभी आरोपों को खारिज कर दिया है। दरअसल, राहुल गांधी ने नई दिल्ली के इंदिरा भवन ऑडिटोरियम में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया था कि मतदाताओं के नाम हटाने के लिए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया। साथ ही राहुल गांधी ने ये भी दावा किया 2024 के लोकसभा चुनावों में बड़े पैमाने पर 'वोट चोरी' हुई थी।
बता दें कि राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि उनके पास "10 प्रतिशत सबूत" हैं कि मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार "वोट चोरों" को संरक्षण दे रहे हैं। वहीं चुनाव आयोग ने राहुल गांधी द्वारा मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार के खिलाफ लगाए गए आरोपों को निराधार और गलत करार दिया।
ऑनलाइन नहीं हटाया जा सकता वोट- EC
चुनाव आयोग ने अपने बयान में कहा कि, "राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोप गलत और निराधार हैं। जनता के किसी भी सदस्य द्वारा किसी भी वोट को ऑनलाइन नहीं हटाया जा सकता, जैसा कि राहुल गांधी ने गलत धारणा बना रखी है। प्रभावित व्यक्ति को सुनवाई का अवसर दिए बिना कोई भी वोट नहीं हटाया जा सकता।"
2023 में दर्ज कराई FIR
चुनाव आयोग ने ये भी कहा कि 2023 में अलंद विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं के नाम डिलीट करने की "असफल कोशिशें" की गई थी। हालांकि चुनाव आयोग ने खुद इस मामले में FIR दर्ज कराई थी। आयोग ने बताया कि 2018 में अलंद भाजपा के सुबाध गुट्टेदार ने जीत हासिल की थी और 2023 में कांग्रेस के बीआर पाटिल ने विधानसभा चुनाव जीता था।
राहुल ने लगाए ये आरोप
राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कर्नाटक के अलंद में 6018 वोटों को किसी ने मिटाने की कोशिश की। हमें नहीं पता कि 2023 के चुनावों में कुल कितने वोट मिटाए गए, लेकिन यह संख्या 6,018 से कहीं ज्यादा थी। राहुल ने कहा कि हुआ यूं कि बूथ लेवल अधिकारी ने देखा कि उसके चाचा का वोट मिटा दिया गया है।
उन्होंने आगे कहा कि जब इसकी जांच हुई तो पता चला कि पड़ोसी के नाम पर वोट हटाया गया। न तो वोट हटाने वाले को और न ही जिसका वोट हटाया गया, उसे इसकी जानकारी थी। सच में, किसी बाहरी ताकत ने सिस्टम को हैक करके ये वोट हटाए थे।
-Shraddha Mishra