
फिल्म देखते समय हाथ में पॉपकॉर्न हो तो मजा दोगुना हो जाता है। क्रंची, स्वादिष्ट और हेल्दी स्नैक—यही सोचकर लोग इसे पसंद करते हैं। पर क्या आपने सोचा है कि ये स्नैक आपके फेफड़ों का दुश्मन भी बन सकता है?
पॉपकॉर्न: मूवी टाइम का स्टार, लेकिन...
अमेरिका के कोलोराडो में रहने वाले वेन वॉटसन नाम के व्यक्ति को 10 साल तक रोज़ाना दो पैकेट माइक्रोवेव पॉपकॉर्न खाने की आदत थी। खास बात यह कि वह पैकेट की भाप को पहले गहरी सांस लेकर सूंघते थे। नतीजा? उन्हें हुई गंभीर बीमारी—पॉपकॉर्न लंग।
जब पॉपकॉर्न बना 51 करोड़ का मुआवजा!
जांच में खुलासा हुआ कि पॉपकॉर्न की भाप में Diacetyl नामक केमिकल होता है। खाने में यह हानिकारक नहीं, लेकिन जब इसे सांस के जरिए अंदर लिया जाए, तो यह फेफड़ों को बर्बाद कर देता है। अदालत ने माना—बीमारी की वजह यही भाप थी और वॉटसन को 7.2 मिलियन डॉलर का मुआवजा मिला!
क्या है पॉपकॉर्न लंग बीमारी?
पॉपकॉर्न लंग (Bronchiolitis Obliterans) एक ऐसी बीमारी है, जिसमें फेफड़ों की छोटी-छोटी नलियां संकरी हो जाती हैं। लक्षण—लगातार खांसी, सांस फूलना और सीटी जैसी आवाज। सबसे खतरनाक बात? यह बीमारी अपरिवर्तनीय है, यानी एक बार हो गई तो पूरी तरह ठीक नहीं हो सकती।
सच्चाई सामने कैसे आई?
2000 के दशक की शुरुआत में जब अमेरिका की पॉपकॉर्न फैक्ट्रियों में काम करने वाले कर्मचारियों को अचानक फेफड़ों की समस्याएं होने लगीं, तो जांच में सामने आया कि इसके पीछे यही केमिकल था। 2007 के बाद कई कंपनियों ने इसे हटाना शुरू कर दिया।
आज भी बरतें सावधानी
आजकल ज्यादातर पॉपकॉर्न में यह केमिकल नहीं होता, लेकिन सावधानी जरूरी है। माइक्रोवेव पॉपकॉर्न का बैग खुलते ही निकलने वाली भाप को सीधे न सूंघें। पैकेट को कुछ सेकंड खुला छोड़ दें, फिर आराम से खाएं।