
नेपाल में हाल ही में बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। जेनरेशन जेड के नेतृत्व में हुए जोरदार विरोध प्रदर्शनों ने पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को सत्ता छोड़ने पर मजबूर कर दिया। अब देश की बागडोर अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की के हाथ में है। कार्की नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री हैं और उन्होंने शुक्रवार रात शपथ ली।
राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में उन्होंने साफ किया कि उनकी सरकार केवल छह महीने तक ही काम करेगी और इसके बाद सत्ता नई संसद को सौंप दी जाएगी। उन्होंने कहा , “हम यहाँ सत्ता का आनंद लेने नहीं आए हैं, बल्कि जनता की सेवा करने आए हैं। आपके सहयोग के बिना हम सफल नहीं हो सकते।”
मारे गए लोग शहीद का दर्जा
सबसे बड़ी घोषणा यह रही कि प्रदर्शनों के दौरान मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा दिया जाएगा। उनके परिवारों को 10 लाख रुपये की आर्थिक मदद मिलेगी और घायलों को भी सहायता दी जाएगी। कार्की ने कहा कि वह उन परिवारों के दुख को समझती हैं जिन्होंने अपने बच्चों को खो दिया।
51 लोगों की हुईं मौत
8 सितंबर को काठमांडू और अन्य जगहों पर हुए प्रदर्शनों में कम से कम 51 लोगों की मौत हो गई थी और 1,300 से अधिक लोग घायल हुए थे। प्रदर्शन सोशल मीडिया पर लगी रोक से शुरू हुए, लेकिन भ्रष्टाचार और असमानता के खिलाफ गुस्से की वजह से और तेज हो गए। हिंसक झड़पों और आगजनी के बाद ओली सरकार गिर गई।
नेपाल हिंसा में शामिल लोगों की होगी जांच
कार्की ने यह भी कहा कि हिंसा और संपत्ति जलाने जैसी घटनाओं की न्यायिक जांच कराई जाएगी। उन्होंने दावा किया कि कई हमले योजनाबद्ध थे और इसमें कुछ संगठित समूह शामिल थे। उनका कहना था कि साधारण प्रदर्शनकारी ऐसा नहीं कर सकते।
प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने संबोधन में कही ये बात
उन्होंने यह भी कहा कि नेपाल अब कठिन वित्तीय संकट से गुजर रहा है और सभी को मिलकर देश का पुनर्निर्माण करना होगा। उनका मानना है कि नई पीढ़ी की सोच और उम्मीदों के अनुसार सरकार को काम करना होगा।
इस बीच, नेपाल धीरे-धीरे सामान्य स्थिति की ओर लौट रहा है। बाजार, दुकानें और सड़कें फिर से खुलने लगी हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सुशीला कार्की को बधाई देते हुए उनकी नियुक्ति को “महिला सशक्तिकरण का उदाहरण” बताया।
Saurabh Dwivedi