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आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की प्रक्रिया इस बार थोड़ी अलग है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने पहले अंतिम तिथि 31 जुलाई तय की थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दिया गया। यह तारीख उन करदाताओं पर लागू होती है जिनका टैक्स ऑडिट नहीं होता है। यानी साधारण वेतनभोगी लोग, पेंशन लेने वाले, किराये या पूंजीगत लाभ से कमाई करने वाले लोग, हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) और छोटे व्यवसाय या प्रोफेशनल जो ITR फॉर्म 1 से 4 का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें 15 सितंबर तक रिटर्न भरना जरूरी है।
क्या डेडलाइन आगे बढ़ सकती है?
समय सीमा नजदीक आने के साथ ही करदाताओं और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की तरफ से डेडलाइन आगे बढ़ाने की मांग की जा रही है। उनका कहना है कि आयकर पोर्टल पर कई तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं। ITR प्रोसेसिंग और रिफंड अपडेट में भी देरी हो रही है। अभी तक लगभग 5.47 करोड़ ITR दाखिल किए जा चुके हैं, जबकि पिछले साल यह संख्या 7.28 करोड़ थी। कई टैक्स एसोसिएशन और ICAI ने सरकार से समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया है, लेकिन अब तक आयकर विभाग ने इस पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है।
देर से रिटर्न भरने पर जुर्माना
अगर कोई करदाता 15 सितंबर तक ITR दाखिल नहीं करता है, तो उसे जुर्माना भरना पड़ेगा। आयकर कानून की धारा 234F के तहत...
अगर सालाना आय 5 लाख रुपये से ज्यादा है, तो ₹5,000 का जुर्माना लगेगा।
अगर आय 5 लाख रुपये से कम है, तो केवल ₹1,000 का जुर्माना देना होगा।
लेट और अपडेटेड रिटर्न का ऑप्शन
यदि कोई व्यक्ति डेडलाइन चूक जाता है, तो भी वह 31 दिसंबर 2025 तक विलंबित रिटर्न दाखिल कर सकता है।
इसके अलावा, अद्यतन रिटर्न (ITR-U) भरने का भी विकल्प है, जिसे करदाता अगले चार सालों तक दाखिल कर सकते हैं। यानी आकलन वर्ष की समाप्ति से 48 महीने के भीतर इसे भरा जा सकता है।
जो लोग अभी तक ITR दाखिल नहीं कर पाए हैं, उनके पास अभी कुछ दिन और बचे हैं। अगर सरकार डेडलाइन नहीं बढ़ाती है, तो 15 सितंबर तक ITR भरना सबसे सुरक्षित विकल्प है, ताकि जुर्माना और अनावश्यक परेशानी से बचा जा सके।
Saurabh Dwivedi