
अमेरिका की एक संघीय अपील अदालत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को टैरिफ (आयात शुल्क) वसूलना जारी रखने की इजाजत दे दी है। गुरुवार को अदालत ने आपातकालीन शक्ति कानून के तहत यह अहम निर्णय सुनाया। ट्रंप प्रशासन ने इस फैसले से पहले एक अन्य अदालत के निर्णय को “हास्यास्पद” बताया था और कहा था कि वे इसके खिलाफ अपील करेंगे। जानिए क्या हैं अमेरिका की संघीय अपील कोर्ट के इस फैसले के मायने
ट्रंप प्रशासन का तर्क – राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल
ट्रंप सरकार ने अपीलीय अदालत में दायर आपातकालीन याचिका में तर्क दिया कि संघीय व्यापार अदालत का फैसला रोकना अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी है। अदालत ने इस तर्क को स्वीकारते हुए टैरिफ वसूली पर लगी रोक हटाने की अनुमति दे दी।
व्हाइट हाउस की तीखी प्रतिक्रिया
इस फैसले से पहले ट्रंप की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने अदालत के फैसले की आलोचना करते हुए कहा था कि दुनिया भर के देशों को ट्रंप पर भरोसा है और वे भी अदालत का निर्णय “हास्यास्पद” मानेंगे। उन्होंने साफ किया कि प्रशासन सर्वोच्च न्यायालय में इस फैसले को चुनौती देने के लिए तैयार है।
तीन जजों की पीठ ने ट्रंप को ठहराया था गलत
गौरतलब है कि इससे पहले संघीय व्यापार अदालत के तीन न्यायाधीशों के पैनल ने टैरिफ वसूली पर रोक लगाई थी। अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि ट्रंप ने राष्ट्रपति पद का दुरुपयोग करते हुए, अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर व्यापार नीतियों में मनमाने ढंग से बदलाव किए हैं।
क्या 1977 का कानून ट्रंप के पक्ष में जा सकता है?
संघीय व्यापार अदालत ने यह भी स्पष्ट किया था कि ट्रंप द्वारा 1977 के अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति कानून का इस्तेमाल कर टैरिफ लागू करना एक गलत कदम था। ट्रंप ने इस कानून का सहारा लेते हुए दुनिया के कई देशों से आयात पर शुल्क लगाया था, जिसे अदालत ने अधिकारों का अतिक्रमण बताया।
वैश्विक बाजार में अनिश्चितता का माहौल
ट्रंप के फैसलों और अमेरिकी व्यापार नीतियों की अनिश्चितता के चलते वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता बनी हुई है। निवेशक ऊंची कीमतों, व्यापार में ठहराव और धीमी आर्थिक वृद्धि की आशंका से घिरे हुए हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह स्थिति भविष्य को लेकर गहरे संशय को जन्म दे रही है।
Published By-Anjali Mishra