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2 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान गई। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान-समर्थित आतंकी संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) ने ली, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है ।
चीन की भूमिका और संयुक्त राष्ट्र में अड़चन
भारत ने हमले के बाद TRF और इससे जुड़े पांच पाकिस्तानी आतंकियों को संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की मांग की। हालांकि, चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अपने वीटो अधिकार का उपयोग कर इस प्रक्रिया को रोक दिया। चीन ने पहले भी मसूद अजहर जैसे आतंकियों के खिलाफ भारत की कोशिशों को बाधित किया है । इस बार भी, UNSC के बयान में "भारत सरकार" के साथ सहयोग की बजाय "सभी संबंधित प्राधिकरणों" के साथ सहयोग की बात कही गई, जिससे बयान की तीव्रता कम हो गई ।
पाकिस्तान और चीन की संयुक्त रणनीति
पाकिस्तान ने हमले में अपनी संलिप्तता से इनकार करते हुए एक "निष्पक्ष" जांच की मांग की, जिसे चीन और मलेशिया का समर्थन मिला । भारत ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया, इसे आतंकियों को बचाने की कोशिश बताया ।
भारत की प्रतिक्रिया: ऑपरेशन सिंदूर
हमले के जवाब में, भारत ने "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इस हमले को "मूल उकसावे" की संज्ञा दी और कहा कि भारत की कार्रवाई आत्मरक्षा में थी ।
चीन का पाकिस्तान के साथ खड़ा होना और UNSC में आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई को रोकना भारत के लिए चिंता का विषय है। यह घटना भारत-चीन-पाकिस्तान के त्रिकोणीय संबंधों में बढ़ते तनाव को दर्शाती है और वैश्विक मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ एकजुट कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
Published By-Anjali Mishra