Vice President on Supreme court allegation : न्याय पालिका पर VP Jagdeep Dhankhar का बड़ा आरोप

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में न्यायपालिका की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा...

17 April 2025

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में न्यायपालिका की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि संविधान में सुप्रीम कोर्ट को दी गई शक्तियों का उपयोग अब लोकतांत्रिक संस्थाओं को निर्देश देने के लिए किया जा रहा है, जो चिंता का विषय है।

उपराष्ट्रपति ने अनुच्छेद 142 का हवाला देते हुए कहा कि यह प्रावधान अब अदालत के पास ऐसा शक्तिशाली औजार बन गया है जो लोकतंत्र के अन्य स्तंभों के लिए खतरा पैदा कर सकता है।

न्यायपालिका पर सख्त टिप्पणी

राज्यसभा इंटर्नशिप प्रोग्राम के तहत इंटर्न्स को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट के एक जज के घर भारी मात्रा में नकद मिलने की खबर आई, लेकिन कई दिनों तक इस मामले पर कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई।

उन्होंने सवाल किया, “क्या ऐसी संवेदनशील घटना पर चुप्पी सही है? क्या सात दिन की देरी जायज़ है?”

जजों पर FIR क्यों नहीं?

उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब आम नागरिकों पर बिना देर किए FIR दर्ज हो सकती है, तो फिर जजों के मामले में अलग नियम क्यों? उन्होंने साफ कहा कि संविधान में केवल राष्ट्रपति और राज्यपाल को ही कानूनी कार्यवाही से छूट दी गई है।

जांच प्रक्रिया पर उठाए सवाल

धनखड़ ने इस बात पर भी चिंता जताई कि इस मामले की जांच तीन जजों की समिति कर रही है। उन्होंने पूछा, “क्या यह समिति किसी वैधानिक कानून के अंतर्गत बनी है? जांच का अधिकार कार्यपालिका के पास होता है, तो फिर न्यायपालिका इसमें कैसे आगे बढ़ रही है?”

उन्होंने यह भी कहा कि इतने समय बाद भी मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, और अब समय आ गया है कि सच्चाई सबके सामने लाई जाए।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया

धनखड़ ने यह टिप्पणी उस वक्त की, जब हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से संबंधित विधेयकों को रोके जाने को असंवैधानिक ठहराया था। अदालत ने कहा कि राष्ट्रपति और राज्यपाल के निर्णय भी न्यायिक समीक्षा के अंतर्गत आते हैं।

इस पर उपराष्ट्रपति ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “क्या हमने राष्ट्रपति जैसे सर्वोच्च पद को अदालतों से निर्देश पाने के लिए बनाया है? क्या यही लोकतंत्र की भावना है?”

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उपराष्ट्रपति का यह बयान बताता है कि न्यायपालिका और अन्य संवैधानिक संस्थाओं के बीच संतुलन को लेकर गंभीर बहस खड़ी हो रही है। आने वाले दिनों में यह विषय न केवल कानूनी बल्कि राजनीतिक हलकों में भी चर्चा का केंद्र बन सकता है।

 

 

Published By: Divya

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