
बांग्लादेश में जब से शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट हुआ है तब से वहां की स्थिति सामान्य होने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे में एक नई खबर आ रही है। जहां सेना के एक सीनियर अफसर पर आरोप लगा है कि वह तख्तापलट करने की कोशिश में लगा हुआ था। इस आर्मी अफसर का नाम लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर रहमान है।
वहीं बांग्लादेश के आर्मी चीफ वकर-उज-जमान को जैसे इस साजिस का पता चला उन्होंने उस अफसर के खिलाफ निगरानी बढ़ाने का आदेश दिया है। रहमान पर आरोप लगा है कि वह पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का करीबी हैं।
जमात-ए-इस्लामी के समर्थक माने जाते है रहमान
लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर रहमान को जमात-ए-इस्लामी का समर्थक माना जाता है। बांग्लादेश के आर्मी चीफ के सचिवालय को इस बात की जानकारी मिली थी कि लेफ्टिनेंट जनरल रहमान बिना सेना प्रमुख की जानकारी के बैठक बुला रहे है।
लेफ्टिनेंट जनरल रहमान ने डिविजनल कमांडरों के साथ मार्च में बैठक की थी और बांग्लादेश में आर्मी चीफ के खिलाफ समर्थन जुटाने का प्रयास किया था। लेकिन वह अपनी कोशिश में कामयाब नहीं हो पाए थे क्योकि कई सीनियर अफसरों ने किनारा कर लिया था।
लेफ्टिनेंट जनरल रहमान ने 2025 के पहले दो महीनों में पाकिस्तान के के डिप्लोमेट्स और जमात-ए-इस्लामी के नेताओं के साथ कई बार बैठक की है। बांग्लादेश की मिलिट्री इंटेलिजेंस एजेंसी DGFI लेफ्टिनेंट जनरल रहमान की निगरानी कर रही हैं।
इन दो वजहों से सेना ने उठाया होगा ये कदम
कुछ समय पहले ही ऐसी दो घटना हुई है, जिसके चलते सेना ने यह कदम उठाया होगा। क्योकि कुछ दिनों पहले ही छात्र नेता और ग्रामीण विकास व सहकारिता मंत्रालय के सलाहकार आसिफ महमूद शाजिब भुइयां का एक पुराना वीडिया सामने आया, जिसमें वह दावा करते दिख रहे है कि सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने अनिच्छा से मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश की बागडोर देने पर सहमति व्यक्त की थी।
वहीं इससे पहले, एक और छात्र नेता हसनत अब्दुल्ला ने जनरल जमान के साथ हुई एक गुप्त बैठक के बाद सेना के खिलाफ आंदोलन शुरू करने की सार्वजनिक रूप से धमकी दी थी
क्या है जमात-ए-इस्लामी
जमात-ए-इस्लामी एक इस्लामिक राजनीतिक पार्टी है, इसकी स्थापना 1941 में ब्रिटिश भारत के लाहौर में हुई थी। इस संगठन के संस्थापक सैयद अबुल अला मौदूदी थे।
क्यों उठाया आर्मी चीफ ने यह कदम
आर्मी चीफ और बांग्लादेश की सत्ता संभाल रहे नेताओं के बीच सबकुछ ठीक नजर नहीं आ रहा है। आर्मी चीफ यूनुस प्रशासन को बांग्लादेश के हालातों पर नियंत्रण के लिए लगातार चेतावनी दे रहे हैं। छात्र नेताओं को यह आशंका है कि आर्मी चीफ एक बार फिर शेख हसीना की आवामी लीग के लिए रास्ता बना रहे हैं। यही कारण है कि जिन लोगों के हाथ में अभी बांग्लादेश की बागडोर है, वह आर्मी की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।
-युक्ति राय





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