झारखंड के नए सीएम चंपई सोरेन कल यानी पांच फरवरी को झारखंड विधानसभा में अपनी सरकार का बहुमत साबित करने के लिए विश्वास प्रस्ताव लाने वाले है. बता दें कि इसके लिए दो दिनों का विशेष सत्र भी बुलाया गया है. अगर हम झारखंड में अबतक के फ्लोर टेस्ट की बात करें तो यहां अब तक विधानसभा में 11 बार बहुमत साबित करने के लिए विश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है. लेकिन झारखंड सरकार में अब तक आठ बार ही सरकारों ने अपना बहुमत साबित कर पाया है. एक रिपोर्ट की मानें तो दो बार प्रस्ताव आने के बाद वोटिंग से पहले ही तत्कालीन मुख्यमंत्रियों ने अपना इस्तीफा दे दिया था. तो वहीं एक बार वोटिंग की अनुमति भी नहीं दी गई थी.
झारखंड राज्य बिहार से 14 नवंबर 2000 को अलग हुआ था. जिसके बाद पहले मुख्यमंत्री के तौर पर बाबूलाल मरांडी के हाथ में नए राज्य की कमान सौंपी गई . 23 नवंबर 2000 को तत्कालीन सरकार ने विश्वास प्रस्ताव लाया था. जिसमें उन्हें बहुमत मिली थी. इसके बाद झारखंड के मुख्यमंत्री और जेएएमएम के नेता शिबू सोरेन ने 11 मार्च 2005 को बहुमत साबित करने के लिए विश्वास प्रस्ताव लाया था. लेकिन उस वक्त प्रस्ताव प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं दी गई थी.
वहीं 15 मार्च 2005 को मुख्यमंत्री अजुर्न मुंडा ने 15 मार्च 2005 को बहुमत साबित करने के लिए विश्वास प्रस्ताव लाया था. इसमें तत्कालीन सीएम ने हुमत साबित किया था. इसके बाद अर्जुन मुंडा ने ही 14 सितंबर 2005 को विश्वास प्रस्ताव लाया था, लेकिन उनके पास बहुमत नहीं होने के कारण उन्होंने सदन में इस्तीफा की घोषणा कर दी थी. आपको बता दें कि हेमंत सोरेन सदन में 3 बार विश्वास प्रस्ताव ला चुके हैं. एक रिपोर्ट की मानें तो धारखंड में अब तक केवल दो बार ही अविश्वास प्रस्ताव आया है.