
नीतू पाण्डेय, नई दिल्ली: जातीय जनगणना कराने वाली नीतीश सरकार को पटना हाईकोर्ट से फिर एक बार झटका लगा है. हाईकोर्ट ने इस मामले में जल्द सुनवाई की याचिका को खारिज कर दिया. जिसके बाद बिहार की राजनीति गरमा गई है.
पटना हाईकोर्ट ने जातिय जनगणना को लेकर फिर एक बार नीतीश सरकार को झटका दिया है. हाइकोर्ट ने इस मामले में सरकार की जल्द सुनवाई करने की याचिका को खारिज कर दिया. जिसके बाद बिहार के सियासी गलियारों में फिर से पारा चढ़ता नजर आ रहा है.
दरअसल, हाई कोर्ट ने 4 मई को बिहार में जातीय जनगणना पर रोक लगाते हुए इस मामले में अगली सुनवाई 3 जुलाई को तय की थी. राज्य सरकार इन मामले में जल्द सुनवाई की अपील लेकर हाई कोर्ट गई थी. लेकिन हाईकोर्ट ने इस अपील को खारिज कर दिया.
हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया था कि जातिगत जनगणना राज्य सरकार नहीं बल्कि केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र यानी संघ सूची का हिस्सा है. राज्य तभी ये जनगणना करवा सकता है, जब विधानसभा में इस संबंध में कानून पारित किया गया हो. वहीं बिहार सरकार का कहना है कि जातिगत जनगणना का काम 80 फीसदी पूरा हो चुका है, और जनगणना अतिम चरण में है. जिसपर कोर्ट ने सरकार को डेटा सुरक्षित रखने की सलाह दी.
भारत में जनगणना का ये है इतिहास
भारत में पहली बार साल 1881 में जनगणना हुई
साल 1881 से 1931 तक जातिगत जनगणना हुई
साल 1941 में भी जातियों के आंकड़े जुटाए गए
लेकिन केंद्र सरकार ने आंकडे सार्वजनिक नहीं किए
आजादी के बाद पहली बार 1951 में हुई जनगणना
अब SC और ST के आंकड़े ही जारी करती है सरकार
जातिय जनगणना के पीछे सरकार का तर्क है कि इससे समाजिक न्याय करने में उन्हें आसानी होगी. जातियों के आंकड़ों के माध्यम से आरक्षण तय हो सकेंगे.
बता दें बिहार सरकार ने पिछले साल जातिगत जनगणना कराने का फैसला किया था. और इसका काम जनवरी 2023 से शुरू भी हो गया था. माना जा रहा था कि 15 मई को यह काम पूरा हो जाता, लेकिन अब हाईकोर्ट ने इस पर 3 जुलाई तक रोक लगा दी. सरकार ने जातिगत जनगणना पर अबतक 500 करोड़ रूपये खर्च कर दिए है.
जातिय आरक्षण का मुद्दा केवल जेडीयू ही नहीं बल्कि कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी सहित कई राजनैतिक दल कर चुके हैं. वहीं केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर साफ कर दिया था कि जातिगत जातिगत जनगणना नहीं कराई जाएगी. केंद्र का कहना है कि ओबीसी जातियों की गिनती करना लंबा और कठिन काम है. अब देखने वाली बात होगी कि 3 जुलाई को कोर्ट क्या फैसला सुनाता है.