
नीतू पाण्डेय, नई दिल्ली: आजकल हर कोई किसी न किसी समस्या के चलते परेशान है. कोई जॉब को लेकर कोई पैसे को लेकर कोई अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर या फिर ऐसी बहुत सी वजह है जो लोगों की परेशानी का कारण बनी हुई है. इन परिशानियों के चलते घबराहट मूड ऑफ होना मूड स्विंग्स होना या फिर उदासी या तो रात को नींद न आना जैसी समस्या धीरे-धीरे हमारे दीमाग पर घर कर जाती है. जिसके कारण हम कई सारी बीमारियों के शिकार हो जाते है जिन बीमारियों में मुख्य तौर पर डिप्रेशन का शिकार होना शामिल है.
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एक दिन में ये समस्या कई बार हो सकती है इसके आने-जाने की प्रकिया लगातार बनी रहती है. लेकिन इन वजहों से हमारा काम,प्रक्रिया लगातार बनी रहती है. लेकिन इन वजहों से हमारा काम रूटीन बॉडी लैंग्वेंज शरीर में ऊर्जा का स्तर ज्यादा प्रभावित नहीं होता है. लेकिन यहीं समस्या जब हमारे इमोशंस पर आकर रुक जाए या घर बनाने लगे तो यही बहुत बड़ी समस्या बन जाती है.
जब ये समस्या हमारे मस्तिष्क के साथ-साथ इमोशंस में घर बनाने लगे और मन से ऐसी आवाज आने लगे की अब कुछ सही नहीं हो सकता है. किसी से बात करने का भी बिल्कुल मन न हो उन सभी चीजों से बिल्कुल मन हट जाए जिनमें काफी दिलचस्पी थी. रातों की नींद उड़ जाएं तो समझ लीजिओ मामला बिल्कुल गड़बड़ है.
लेकिन आपको बता दें कि, हर तरह के बड़े से बड़े डिप्रेशन का इलाज करना मुमकिन है. शुरुआत काउंसलिंग से हो सकती है और ज्यादा दिक्कत होगी तो शुगर और बीपी की तरह इसे दवा और लाइफस्टाइल में बदलाव के साथ मैनेज किया जा सकता है.
- जेनेटिक यानी परिवार में किसी को पहले हो चुका है। इसलिए ऐसे लोग सचेत रहें.
- कोई ऐसी घटना जिसके बाद लगे कि अब कुछ नहीं किया जा सकता.
- किसी करीबी के गुजर जाने से होने वाला खालीपन, जो भर न पाए.
- जॉब या बिजनेस में नुकसान के बाद ऐसा लगे कि अब मैं शायद इससे उबर नहीं पाऊंगा.