भारत में दिल की बीमारी एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। इंडियन हार्ट एसोसिएशन के आंकड़े बताते हैं कि दुनिया में जितने भी हार्ट डिजीज के मामले सामने आते हैं, उनमें लगभग 60% भारत से जुड़े होते हैं। यह आंकड़ा साफ बताता है कि हमें अपने दिल की देखभाल समय रहते शुरू कर देनी चाहिए।
सही भोजन के साथ-साथ नियमित एक्सरसाइज भी दिल को स्वस्थ बनाए रखने में बेहद जरूरी है। यहां जानिए ऐसी तीन एक्सरसाइज के बारे में जो आपकी हार्ट हेल्थ को बेहतर करने में मदद कर सकती हैं।
1. एरोबिक एक्सरसाइज
एरोबिक वर्कआउट को आमतौर पर कार्डियो भी कहा जाता है। ये आपकी सहनशक्ति बढ़ाते हैं और दिल को मजबूती देते हैं। जब आप कार्डियो करते हैं, तो आपकी दिल की धड़कन तेज होती है और शरीर में पसीना आता है। इससे रक्त संचार बेहतर होता है और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है।
एरोबिक एक्सरसाइज के आसान विकल्प:
तेज चलना
तैराकी (स्वीमिंग)
जॉगिंग
बैडमिंटन या बास्केटबॉल जैसे खेल
2. स्ट्रेंथ ट्रेनिंग
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग आपके शरीर को मजबूत बनाती है और फैट कम करने में मदद करती है। एरोबिक एक्सरसाइज के साथ इसे शामिल करने से शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है और बैड कोलेस्ट्रॉल कम होता है। हालांकि, अगर आप किसी भी तरह की रेजिस्टेंस या वेट ट्रेनिंग शुरू करने की सोच रहे हैं, तो पहले अपने डॉक्टर या किसी फिटनेस एक्सपर्ट से सलाह लेना जरूरी है।
3. स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज
स्ट्रेचिंग सीधे तौर पर दिल पर असर नहीं डालती, लेकिन यह शरीर को लचीला बनाती है। इससे एक्सरसाइज करते समय मांसपेशियों में खिंचाव, दर्द या चोट लगने की संभावना कम हो जाती है। लचीलापन बढ़ने से वर्कआउट करना आसान और सुरक्षित होता है।
एक्सरसाइज करते समय इन बातों का रखें ध्यान
1. वॉर्म-अप करना न भूलें: एक्सरसाइज शुरू करने से पहले हल्का वॉर्म-अप करने से हार्ट रेट धीरे-धीरे बढ़ता है और दिल पर अचानक दबाव नहीं पड़ता। इससे वर्कआउट के दौरान धड़कन तेज होने से जुड़ी दिक्कतें कम हो जाती हैं।
2. एक्सरसाइज के बाद कूल-डाउन करें: वर्कआउट खत्म होने पर शरीर गर्म होता है और ब्लड वेसल्स फैल जाती हैं। यदि आप अचानक रुक जाते हैं, तो चक्कर या कमजोरी महसूस हो सकती है। इसलिए कुछ मिनट तक हल्की वॉक या स्ट्रेचिंग करना जरूरी है।
3. कूल-डाउन के दौरान स्ट्रेचिंग करें: वर्कआउट के बाद किए गए स्ट्रेचेज मांसपेशियों में बनने वाले लैक्टिक एसिड को कम करते हैं, जिससे क्रैम्प या जकड़न की समस्या कम होती है।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता और शैक्षणिक उद्देश्य के लिए है। यह किसी भी तरह की चिकित्सीय सलाह नहीं है। TNP न्यूज इसकी पुष्टी नहीं करता।
-Shraddha Mishra

