21वीं सदी भारत-आसियान की: मोदी ने शिखर सम्मेलन में साझेदारी को बताया भविष्य का स्तंभ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 47वें आसियान शिखर सम्मेलन को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा कि 21वीं सदी भारत और आसियान की सदी है।

26 October 2025

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कुआलालंपुर में 47वें आसियान शिखर सम्मेलन को वर्चुअली संबोधित किया। आसियान समिट को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते है पीएम मोदी ने कहा कि मुझे आसियान परिवार से जुड़ने का मौका मिला। आसियान भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का सबसे अहम हिस्सा है।

पीएम मोदी ने कहा, “21वीं सदी हमारी सदी है। यह भारत और आसियान की सदी है।” उन्होंने भरोसा जताया कि 'आसियान कम्युनिटी विज़न 2045' और 'विकसित भारत 2047' के लक्ष्य पूरी दुनिया के लिए उज्जवल और समृद्ध भविष्य बनाएंगे।

मोदी ने यह भी बताया कि भारत और आसियान की संयुक्त जनसंख्या विश्व की लगभग एक-चौथाई है। उन्होंने कहा कि दोनों के बीच संबंध केवल भौगोलिक नहीं हैं, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित हैं।

साझेदारी वैश्विक स्थिरता और विकास का स्तंभ

प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत-आसियान व्यापक रणनीतिक साझेदारी लगातार मजबूत हो रही है। उन्होंने इसे वैश्विक स्थिरता और सतत विकास का एक नया स्तंभ बताया।

इस वर्ष शिखर सम्मेलन का विषय ‘समावेशीपन और स्थिरता’ है। मोदी ने कहा कि यह डिजिटल समावेशन, खाद्य सुरक्षा और मजबूत आपूर्ति श्रृंखलाओं जैसे साझा प्रयासों में दिखता है। भारत इन प्रयासों को पूरी तरह समर्थन करता है और इसे आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

आसियान के साथ सहयोग के नए पहलू

प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत हर आपदा में आसियान के साथ खड़ा रहा है। उन्होंने आपदा प्रतिक्रिया (HADR), समुद्री सुरक्षा और नीली अर्थव्यवस्था में सहयोग की गति बढ़ने की बात कही। उन्होंने घोषणा की कि 2026 को ‘आसियान-भारत समुद्री सहयोग का वर्ष’ घोषित किया गया है।

सम्मान और संवेदना

मोदी ने फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस की सराहना की, जिन्होंने भारत के साथ सहयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, उन्होंने पूर्वी तिमोर का आसियान में स्वागत किया और थाईलैंड की राजमाता सिरीकित के निधन पर संवेदना व्यक्त की।

प्रधानमंत्री की वर्चुअल भागीदारी और अन्य पहल

प्रधानमंत्री मोदी ने शिखर सम्मेलन के लिए कुआलालंपुर नहीं जाने का निर्णय लिया और वर्चुअल शामिल हुए। इस कार्यक्रम से यह भी उम्मीद थी कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बातचीत का अवसर मिलेगा, खासकर टैरिफ को लेकर नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच जारी तनाव के बीच।

Saurabh Dwivedi

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