
भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान ने एक बड़ा कदम उठाया है। पाकिस्तान ने बांग्लादेश को अपने कराची बंदरगाह के इस्तेमाल की अनुमति देने की पेशकश की है, ताकि ढाका अपने जूट और अन्य उत्पादों का निर्यात कर सके। यह कदम ऐसे समय में आया है जब भारत ने हाल ही में बांग्लादेशी जूट उत्पादों के जमीनी आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
20 साल बाद फिर हुई आर्थिक बैठक
पाकिस्तान और बांग्लादेश ने लगभग दो दशक बाद संयुक्त आर्थिक आयोग (JEC) की बैठक ढाका में आयोजित की। यह दोनों देशों के बीच रिश्तों में सुधार का संकेत है। बांग्लादेश ने 1971 में पाकिस्तान से आज़ादी हासिल की थी, जिसके बाद से दोनों देशों के रिश्ते ठंडे रहे हैं। लेकिन अब दोनों देश आर्थिक साझेदारी बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
कराची बंदरगाह से होगा नया व्यापारिक रास्ता
पाकिस्तान ने बांग्लादेश को कराची बंदरगाह के जरिए चीन, खाड़ी देशों और मध्य एशिया के बाजारों तक पहुंच देने का प्रस्ताव दिया है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह 2,600 समुद्री मील लंबा मार्ग महंगा और समय लेने वाला है, जिसे पूरा करने में लगभग दो हफ्ते लगेंगे। इसके बावजूद, पाकिस्तान इसे भारत के प्रभाव को चुनौती देने के एक मौके के रूप में देख रहा है।
जूट व्यापार को लेकर पाकिस्तान की दिलचस्पी
बांग्लादेश दुनिया में जूट का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। पाकिस्तान ने हाल ही में बांग्लादेशी जूट पर आयात शुल्क घटा दिया है ताकि वह जूट और उससे बने उत्पादों का व्यापार बढ़ा सके। वित्त वर्ष 2024-25 में दोनों देशों के बीच कुल 865 मिलियन डॉलर का व्यापार हुआ, जिसमें पाकिस्तान का निर्यात लगभग 778 मिलियन डॉलर रहा।
भारत के साथ बढ़ा व्यापारिक तनाव
अगस्त में भारत ने बांग्लादेश से जूट और रस्सियों के ज़मीनी रास्तों से आयात पर रोक लगा दी थी। इससे पहले, सिले-सिलाए कपड़ों और बुने हुए कपड़ों के आयात पर भी रोक लगाई जा चुकी थी। अब इन वस्तुओं को सिर्फ मुंबई के न्हावा शेवा बंदरगाह से लाने की अनुमति है, जिससे बांग्लादेशी निर्यातकों की लागत बढ़ गई है। भारत के इस कदम के बाद बांग्लादेश की जूट निर्यात आय जुलाई में घटकर 3.4 मिलियन डॉलर रह गई, जबकि पिछले साल यह 12.9 मिलियन डॉलर थी।
राजनीतिक बदलाव और नई विदेश नीति
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के हटने और मुहम्मद यूनुस के अंतरिम सरकार संभालने के बाद बांग्लादेश की विदेश नीति में बड़ा बदलाव आया है। यूनुस पाकिस्तान और चीन जैसे देशों के साथ रिश्ते सुधारने पर ध्यान दे रहे हैं। पाकिस्तान अब इस मौके का पूरा फायदा उठाना चाहता है और बांग्लादेश को कराची बंदरगाह के उपयोग का प्रस्ताव उसी दिशा में एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है।
Saurabh Dwivedi




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