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देश के 12 राज्यों में वोटर लिस्ट अपडेट करने की प्रक्रिया यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के दूसरे चरण का ऐलान हो चुका है। इस चरण में पश्चिम बंगाल भी शामिल है। लेकिन यहां TMC की तरफ से दिए गए बयानों ने राजनीतिक माहौल गर्मा दिया है।
दरअसल, कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि टीएमसी ने पश्चिम बंगाल में SIR कराए जाने पर “ब्लडबाथ” यानी हिंसा की धमकी दी है। जब इस बारे में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार से सवाल किया गया, तो उन्होंने साफ कहा कि चुनाव आयोग अपना काम पूरी ईमानदारी से कर रहा है और करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह कानून-व्यवस्था बनाए रखे ताकि SIR प्रक्रिया शांतिपूर्ण तरीके से पूरी हो सके।
CEC ज्ञानेश कुमार ने यह भी बताया कि पश्चिम बंगाल में SIR को लेकर कोई गतिरोध या अड़चन नहीं है। उन्होंने दोहराया कि आयोग हर राज्य में पारदर्शी तरीके से मतदाता सूची अपडेट करने के लिए प्रतिबद्ध है।
असम को लेकर क्या बोला चुनाव आयोग
असम को लेकर भी सवाल पूछा गया। इस पर CEC ने कहा कि असम में नागरिकता से जुड़े नियम अलग हैं और वहां सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में नागरिकता जांच प्रक्रिया (NRC) लगभग पूरी हो चुकी है। इसलिए, फिलहाल SIR वहां लागू नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि असम के लिए अलग से संशोधित आदेश जारी किए जाएंगे।
घोषणा से पहले बंगाल में हलचल
SIR की घोषणा से पहले ही पश्चिम बंगाल में हलचल तेज हो गई थी। राज्य सरकार ने सोमवार को 200 से अधिक अधिकारियों और नौकरशाहों का तबादला कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, इन अफसरों को SIR प्रक्रिया में नोडल अधिकारी के रूप में लगाया जाना था। बीजेपी ने इस कदम को ममता सरकार द्वारा SIR प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश बताया। वहीं, टीएमसी ने इसे नियमित प्रशासनिक प्रक्रिया करार दिया।
चुनाव आयोग ने फिलहाल स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी तरह के राजनीतिक दबाव या धमकी से प्रभावित नहीं होगा, और देश के सभी 12 राज्यों में SIR तय समय पर पूरा किया जाएगा।

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