रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से पहले सुरक्षा एजेंसियों ने अब तक की सबसे उच्च स्तरीय वीवीआईपी सुरक्षा योजना तैयार की है। पुतिन का विमान, जिसे “उड़ता किला” कहा जाता है, उनके साथ सड़क पर इस्तेमाल होने वाली बख्तरबंद लिमोजिन, भोजन और संचार व्यवस्था सहित पूरी टीम भारत लाएगा। भारत में उनका स्वागत फोर्ट्रेस सुरक्षा के तहत किया जाएगा, जिसमें बाहरी खतरे लगभग पूरी तरह से नाकाम किए जाते हैं।
सड़क मूवमेंट और सुरक्षित काफिला
पुतिन के किसी भी दौरे पर सुरक्षा केवल विमान तक सीमित नहीं रहती। सड़क सुरक्षा के लिए रूस अपना पूरा मोटरकेड भारत लाता है, जिसमें मॉस्को में इस्तेमाल होने वाली बुलेट-प्रूफ और विस्फोट-प्रतिरोधक लिमोजिन शामिल होती है। यह कार गैस और अन्य हमलों से भी सुरक्षित रहती है।
एयरफोर्स वन से कम नहीं IL-96-3000 PYu
पुतिन का विमान अमेरिकी राष्ट्रपति के एयरफोर्स वन के समान उच्च सुरक्षा मानकों वाला है। इसमें मल्टी-लेयर मिसाइल जैमिंग सिस्टम है, जो संभावित हमलों को निष्क्रिय करता है। सुरक्षा के अन्य पहलुओं में इलेक्ट्रॉनिक और न्यूक्लियर हमलों से सुरक्षा भी शामिल है।
भारत की सुरक्षा तैयारियां
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने पुतिन के आगमन के लिए थल, जल और वायु सुरक्षा प्रोटोकॉल सक्रिय कर दिए हैं। एयरस्पेस प्रतिबंध, संचार जैमिंग, एंटी-ड्रोन उपाय और रणनीतिक मार्ग सुरक्षा सुनिश्चित की गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी उच्च सुरक्षा सिर्फ खतरे से बचाव नहीं बल्कि दोनों देशों के बीच विश्वास और रणनीतिक रिश्तों का संदेश भी देती है।
दौरे के दौरान संभावित समझौते
इस दो-दिन के दौरे में भारत और रूस कई महत्वपूर्ण समझौतों पर चर्चा करेंगे। इनमें व्यापार, रक्षा, कृषि, स्वास्थ्य, सांस्कृतिक और श्रमिक गतिशीलता से जुड़े समझौते शामिल हैं। दोनों देशों के बीच मोबिलिटी समझौता होने की संभावना है, जिससे भारतीय कामगार रूस में आसानी से रोजगार पा सकेंगे।
व्यापार और रक्षा सहयोग
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की वार्ता में व्यापार बढ़ाने और रक्षा क्षेत्र में सहयोग को प्राथमिकता दी जाएगी। भारत रूस को औषधियां, कृषि उत्पाद, प्रोसेस्ड फूड और उपभोक्ता वस्तुएं निर्यात बढ़ाना चाहता है, जबकि रूस से आयात लगभग 65 अरब डॉलर है।
यूक्रेन युद्ध पर भारत की स्थिति
वार्ता में यूक्रेन संघर्ष पर भी चर्चा होगी। भारत ने स्पष्ट किया है कि यह युद्ध बातचीत और कूटनीति के माध्यम से ही खत्म होना चाहिए। भारत शांति प्रयासों का समर्थन करेगा, बशर्ते वह वार्ता और युद्धविराम की दिशा में हो।
यूरोपीय राजनयिकों की आलोचना
फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन के राजदूतों द्वारा पुतिन पर लिखे गए आलोचनात्मक लेख पर भारत ने आपत्ति जताई। इसे असामान्य और अनुचित राजनयिक व्यवहार बताया गया।
ऊर्जा और कृषि सहयोग
भारत और रूस उर्वरक, कृषि, शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की संभावना पर चर्चा करेंगे। हाल के अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भारत की रूस से कच्चे तेल की खरीद में कमी आई है, लेकिन यह अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर है।
- YUKTI RAI



