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- Sat, 21st Dec, 2024
जल संकट के मसले पर दिल्ली सरकार को आज सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने की उम्मीद थी परन्तु निराशा हाथ लगी. एक ओर हिमाचल प्रदेश ने यह कहते हुए हाथ खड़े कर दिए कि उनके पास दिल्ली को देने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है.
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्यों के बीच पानी के बंटवारे को लेकर अपनी ओर से आदेश देने से मना कर दिया और फैसला अपर यमुना बोर्ड पर छोड़ दिया.
शुक्रवार को बैठक बुलाने और जल्द फैसला लेने का निर्देश
जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की बेंच ने यमुना में पानी के बंटवारे को राज्यों के बीच का जटिल मुद्दा बताते हुए कहा कि अदालत के पास इसकी तकनीकी विशेषज्ञता नहीं है. इसलिए मामला अपर यमुना रिवर बोर्ड पर छोड़ देना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने अपर यमुना रिवर बोर्ड को शुक्रवार को सभी पक्षों की बैठक बुलाने और मामले में जल्द फैसला लेने के निर्देश दिए हैं. साथ ही कहा है कि अगर जरूरत हो तो बोर्ड की बैठक रोजाना की जाए. अदालत ने दिल्ली सरकार को मानवीय आधार पर विचार के लिए बोर्ड को आवेदन देने के लिए कहा है.
हिमाचल प्रदेश ने खड़े कर दिए हाथ
गुरुवार को अदालत में हिमाचल प्रदेश ने दिल्ली के लिए अतिरिक्त पानी छोड़ने पर हाथ खड़े कर दिए. हिमाचल अपने पुराने रुख से ये कहते हुए पलट गया कि राज्य के पास अतिरिक्त पानी नहीं है.
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश को दिल्ली के लिए 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी देने का आदेश दिया था, इसके लिए उसने हाई कोर्ट में हलफनामा भी दिया था. परन्तु गुरुवार को हिमाचल प्रदेश के एडवोकेट जनरल ने कोर्ट से कहा कि उनके हलफनामे में गड़बड़ी है और अब वो इसे बदलना चाहते हैं. इसपर अदालत ने बेहद संवेदनशील मसले पर गलत जवाब देने के लिए हिमाचल सरकार को फटकार भी लगाई.
दिल्ली सरकार ने दाखिल की थी याचिका
जल संकट को देखते हुए दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इसमें हरियाणा द्वारा यमुना नदी में कम पानी छोड़े जाने की बात कही गई है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद हिमाचल प्रदेश से दिल्ली के लिए 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने को कहा था. साथ ही हरियाणा से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि पानी बिना किसी रुकावट के दिल्ली तक पहुंचे.