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- Sat, 12th Oct, 2024
2024 का लोकसभा चुनाव कई मायने में एतिहासिक रहा. जिस तरह के चुनाव परिणाम आए उससे न सिर्फ राजनीति की हवा बदल गई बल्कि मीडिया की विश्वसनीयता पर भी बड़ा प्रश्नचिन्ह लग गया. खासकर जब मतदान के बाद के एक्जिट पोल्स पर नजर डालें तो यह बात स्पष्ट हो जाती है. जब वास्तविक नतीजे सामने आए तो बड़े-बड़े मीडिया संस्थानों के एक्जिट पोल के नतीजे धाराशायी हो गए. परन्तु इन सबके बीच राष्ट्रीय स्तर पर अपनी बड़ी पहचान बना चुके और गांव-गांव तक अपने नेटवर्क को मजबूत कर चुके मीडिया समूह टीएनपी न्यूज़ समूह ने अपने सटीक, ईमानदार और भरोसेमंद एग्जिट पोल के दम पर एक नई पहचान कायम की है. देश के कई प्रमुख मीडिया संस्थानों ने भी चैनल के इस स्टीक के एग्जिट पोल की सराहना की है.
टीएनपी न्यूज़ समूह का सबसे सटीक एग्जिट पोल
देश के तमाम टेलीविजन चैनलों ने जहां एग्जिट पोल में एनडीए गठबंधन को 300 प्लस सीट दिखाई थी, वही टीएनपी न्यूज़ ने अपने चुनावी सर्वे में सबसे सटीक एग्जिट पोल दिखाया था. चैनल ने अपने एग्जिट पोल में एनडीए को 275 से 300 सीट दिखाई थी जो अंततः चुनाव परिणाम आने के बाद सटीक साबित हुआ.
कैसे सटीक रहा टीएनपी न्यूज़ समूह का एग्जिट पोल
टीएनपी न्यूज़ के एक्जिट पोल के सटीक साबित होने की वजह थी जमीन पर उतर कर काम करना. चैनल ने अपनी मजबूत टीम के माध्यम से मतदाताओं के बीच जाकर उनके मन मिजाज को तो जाना. चैनल की टीम के सदस्यों ने स्थानीय समस्याओं के परिप्रेक्ष्य में सियासी समीकरण को समझने की कोशिश की.
उत्तर प्रदेश और राजस्थान में जिस तरह से हालात बने थे उसकी झलक साफ तौर से दिख रही थी. कई संगठन एनडीए के खिलाफ खड़े थे. कई बड़े नेताओं के टिकट काट दिए गए थे. जिस तरह से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के उम्मीदवारों की लिस्ट को भाजपा चुनाव प्रबंधन समिति द्वारा काट छांट करने की बात सामने आई उससे स्पष्ट संकेत मिल रहे थे कि राज्य में इस बार परिणाम प्रभावित हो सकते हैं. दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच का गठबंधन कई दागी उम्मीदवारों को अंतिम समय में बदलना इस बात को साबित कर रहा था कि उन्हे जनता से कुछ फीडबैक जरूर मिले हैं.
गुजरात के भाजपा सांसद की टिप्पणी का असर
टीएनपी न्यूज़ की टीम ने आम लोगों से बातचीत के दौरान महसूस किया कि गुजरात के भाजपा सांसद रूपाला के द्वारा राजपूत समाज पर की गई टिप्पणी का असर उत्तर प्रदेश और राजस्थान की कई सीटों पर पड़ा. राजस्थान में महज एक राजपूत उम्मीदवार उतारना और उत्तर प्रदेश में दिग्गज राजपूत नेताओं को दरकिनार करने की वजह से भी उस समाज के लोगों में काफी नाराजगी दिखी.
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के जादू पर भी टीएनपी न्यूज़ ने पहले भविष्यवाणी कर दी थी कि ममता का ममता अभी समाप्त होने वाला नहीं है . इसी तरह बिहार में नीतीश कुमार की मजबूती और भाजपा में गुटबाजी का असर भी दिख रहा था. जातीय जनगणना के बाद बिहार में एक नए समीकरण के उदय पर भी चैनल ने अपनी मोहर लगाई थी.