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- Sat, 21st Dec, 2024
7 दिनों तक अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने की अरविंद केजरीवाल की कोशिशों का बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में तुरंत सुनवाई से मना कर दिया है. अब मामले को आगे के निर्देशों के लिए भारत के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के पास भेज दिया गया. जस्टिस जे के माहेश्वर और जस्टिस के वी विश्वनाथ की बेंच ने कहा कि मुख्य केस में फैसला अभी सुरक्षित है, इसलिए याचिका को सूचिबद्ध किए जाने को लेकर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया फैसला लेंगे. अरविंद केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट की अवकाशकालीन बेंच से मामले की तत्काल सुनवाई की अपील की थी.
अदालत के इस फैसले के बाद इस बात की संभावना बढ़ गई है कि अरविंद केजरीवाल को 2 जून को वापस जेल जाना ही पड़ेगा. केजरीवाल अभी 21 दिनों के लिए अंतरिम जमानत पर हैं जिसकी अवधि 2 जून को खत्म हो रही है, सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए उन्हे 21 दिनों के लिए अंतरिम जमानत दी है. अरविंद केजरीवाल दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में आरोपी हैं.
मेडिकल डेस्ट कराने के लिए अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने की मांग
अदालत में अरविंद केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मुख्यमंत्री को कुछ मेडिकल डेस्ट कराने के लिए अंतरिम जमानत की अवधि में 7 दिन का विस्तार दिया जाना चाहिए. उन्होने कहा कि टेस्ट पूरा होने के बाद वो 9 जून को केजरीवाल सरेंडर कर देंगे. उन्होने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश में निर्धारित अंतरिम जमानत की शर्तों का भी पालन किया है. अभिषेक मनु सिंघवी ने अरविंद केजरीवाल की सेहत और सरेंडर करने की तारीख नजदीक होने का हवाला देते हुए कोर्ट से अपील पर जल्द सुनवाई की मांग की परन्तु अदालत ने मना कर दिया.
अरविंद केजरीवाल ने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए अपनी अर्जी में कहा कि उनकी सेहत सही नहीं है. उन्होने बिना वजह वजन कम होने का जिक करते हुए कहा है कि यह जिंदगी के लिए खतरा पैदा करने वाले लक्षण हो सकते हैं. स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं और बढ़ते जोखिम के संकेतों को देखते हुए डॉक्टर ने पूरे शरीर के कई टेस्ट बताए हैं, जो आत्मसमर्पण करने से पहले करवाए जाने जरूरी हैं.
याचिका में अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि उन्होने जमानत का उपयोग केवल चुनाव प्रचार के लिए किया है. उन्हें बहुत कम समय के दौरान दिल्ली और पूरे भारत में व्यापक रूप से यात्रा करनी पड़ी है. इसकी वजह से उन्हे स्वास्थ्य जांच कराने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाया.