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- Sat, 21st Dec, 2024
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. हेमंत सोरेन ने भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरह चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत के लिए अर्जी दी थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका सुनने से ही मना कर दिया. इसके बाद उनके वकील ने याचिका वापस ले ली.
तथ्य छुपाने पर कोर्ट ने जताई नाराजगी
कोर्ट के सामने सारे तथ्य नहीं रखने पर हेमंत सोरेन के वकील कपिल सिब्बल को अदालत की नाराजगी भी झेलनी पड़ी. अदालत ने पूछा कि कोर्ट को इस बात की जानकारी क्यों नहीं दी गई कि सोरेन के ज़मानत की अर्जी स्पेशल कोर्ट के सामने पेंडिंग है.
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि स्पेशल कोर्ट ने 4 अप्रैल, 2024 को ऐसे ही याचिका पर संज्ञान लिया था . निचली अदालत में दायर की गई जमानत याचिका के तथ्य का यहां दायर की गई तत्काल याचिका में ज़िक्र ही नहीं किया गया है. कोर्ट ने हेमंत सोरेन के वकील कपिल सिब्बल से पूछा कि आपने हमें क्यों नहीं बताया कि आपने निचली अदालत में याचिका दायर की हुई है.
अदालत ने कहा कि याचिका के गुण-दोष पर विचार किए बगैर गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका खारिज करेंगे. यदि अदालत मेरिट पर गौर करेगी तो यह उनके लिए नुकसानदेह होगा. कोर्ट ने कहा कि आपका आचरण काफी कुछ कहता है, हमें उम्मीद थी कि आपके मुवक्किल स्पष्टता के साथ आएंगे लेकिन आपने महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया. पीठ ने सिब्बल से कहा, ‘‘आपका आचरण काफी कुछ कहता है." अदालत की टिप्पणी के बाद हेमंत सोरेन के वकील कपिल सिब्बल ने याचिका वापस ले ली.
ईडी ने पहले सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 31 जनवरी को सोरेन की गिरफ्तारी को झारखंड उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था और निचली अदालत ने 13 मई को उनकी नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी थी. ED ने उनके साथ किसी भी तरह के ‘विशेष व्यवहार’ का विरोध करते हुए कहा था कि हेमंत सोरेन काफी प्रभावशाली व्यक्ति हैं और स्टेट मशीनरी का इस्तेमाल करते हुए उन्होने खुद को बचाने के तमाम प्रयास किए थे
हेमंत सोरेन को कथित भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था