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आग की लपटें ज्ञान को नहीं मिटा सकती.., नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर के उद्घाटन पर बोले पीएम मोदी

आग की लपटें ज्ञान को नहीं मिटा सकती.., नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर के उद्घाटन पर बोले पीएम मोदी

18 Sep 2024

' ..नालंदा केवल एक नाम नहीं है.. नालंदा एक पहचान है, एक सम्मान है. नालंदा एक मूल्य है, मंत्र है, गौरव है, गाथा है.. नालंदा इस सत्य का उद्घोष है कि आग की लपटों में पुस्तकें भले जल जाएं लेकिन आग की लपटें ज्ञान को नहीं मिटा सकतीं.'


ये बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में कही. इस मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बड़ी संख्या देश-विदेश के मेहमान भी मौजूद थे.


नालंदा के विश्वप्रसिद्ध विश्वविद्यालय को 12वीं शताब्दी में आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने नष्ट कर दिया था. तब यहां की हजारों पुस्तकों को उसने जला डाला था.

 


विश्व को भारत के सामर्थ्य का परिचय देगा नालंदा का ये नया कैंपस-पीएम

 

 

नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर के उद्गाटन के मौके पर प्रधानमंत्री ने बिहार के लोगों को भी बधाई दी. उन्होने कहा कि, जिस तरह से बिहार अपने गौरव को वापस लाने के लिए विकास की राह पर चल रहा है, नालंदा का ये परिसर उसी की एक प्रेरणा है.  प्रधानमंत्री ने कहा कि, 'मुझे तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ ग्रहण करने के बाद पहले 10 दिनों में ही नालंदा आने का अवसर मिला है.ये मेरा सौभाग्य तो है ही साथ ही मैं इसे भारत की विकास यात्रा के एक शुभ संकेत के रूप में देखता हूं.'

 

प्रधानमंत्री ने कहा कि नालंदा से कई देशों की विरासत जुड़ी हुई है. नालंदा यूनिवर्सिटी के पुनर्निर्माण में हमारे साथी देशों की भागीदारी भी रही है. पीएम मोदी ने कहा कि, अपने प्राचीन अवशेषों के समीप नालंदा का ये नया कैंपस, विश्व को भारत के सामर्थ्य का परिचय देगा.

 

उन्होने कहा, "हम सभी जानते हैं कि नालंदा कभी भारत की परंपरा और पहचान का जीवंत केंद्र हुआ करता था..प्राचीन नालंदा में बच्चों का प्रवेश उनकी पहचान, उनकी राष्ट्रीयता को देख कर नहीं होता था. ..नालंदा विश्वविद्यालय के इस नए परिसर में हमें उसी प्राचीन व्यवस्था को फिर से आधुनिक रूप में मजबूती देनी है और मुझे ये देख कर खुशी है कि दुनिया के कई देशों से आज यहां कई विद्यार्थी आने लगे हैं.

 

 नालंदा विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य 2017 में शुरू हुआ. इसमें भारत के अलावा 17 अन्य देशों की भी भागीदारी है. ये देश हैं ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, ब्रुनेई, दारुस्सलाम, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओस, मॉरीशस, म्यांमा, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, वियतनाम और थाईलैंड.  

 

 

उद्गाटन से पहले प्रचीन खंडहर देखने गए मोदी

 

 

नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर के उद्घाटन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पास में स्थित प्रचीन विश्वविद्यालय के खंडहरों को देखने गए जो अब ऐतिहासिक धरोहर में तब्दील हो चुका है. साल 2017 में यूनिवर्सिटी के नए कैंपस का निर्माण शुरू किया गया था. इससे पहले 2016 में नालंदा के खंडहरों को संयुक्त राष्ट्र विरासत स्थल घोषित किया गया था.

 

 

नालंदा यूनिवर्सिटी में क्या है खास

 

 

नालंदा विश्वविद्यालय में दो अकेडमिक ब्लॉक हैं, जिनमें 40 क्लासरूम हैं. इनमें कुल 1900 बच्चों के बैठने की व्यवस्था है. इसके अलावा 300 सीटों वाले दो ऑडिटोरयम भी हैं .

विश्वविद्यालय में इंटरनेशनल सेंटर और एम्फीथिएटर भी बनाया गया है, जहां 2 हजार लोगों के बैठने की क्षमता है. छात्रों के लिए फैकल्टी क्लब और स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स सहित कई अन्य सुविधाए भी हैं. सबसे खास बात यह है कि यहां पर्यावरण के अनुकूल एक्टिविटी और शिक्षा होती है.

 


12वीं शताब्दी में आक्रमणकारियों ने किया नष्ट

 

नालंदा के ऐतिहासिक विश्वविद्यालय की स्थापना पांचवी शताब्दी में हुई थी. यहां दुनिया के कई देशों से छात्र पढ़ने आते थे. इसकी नींव गुप्त राजवंश के कुमार गुप्त प्रथम ने रखी थी. तब यहां करीब 10 हजार छात्र पढ़ते थे, जिनके लिए 1500 अध्यापक हुआ करते थे. ज्यादातर छात्र एशियाई देशों चीन, कोरिया और जापान से आने वाले बौद्ध भिक्षु होते थे.12वीं शताब्दी में आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने इस विश्वविद्यालयों को नष्ट कर दिया था.

 

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