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- Mon, 30th Dec, 2024
कोलकाता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में ने 2010 के बाद जारी किए गए सभी ओबीसी सर्टिफिकेट को रद्द करने का आदेश दिया है. अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि 2011 से नियमों की अनदेखी कर ओबीसी के सर्टिफिकेट जारी किए गए. हालांकि अदालत का यह आदेश उन लोगों पर लागू नहीं होगा जिन्हें इन सर्टिफिकेट्स के आधार पर पहले नौकरी मिल चुकी है परन्तु उन सर्टिफिकेट्स के आधार पर अब कोई भी व्यक्ति नौकरी हासिल नहीं कर सकता है.
ओबीसी प्रमाणपत्र देने की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया.ओबीसी लिस्ट के रद्द होने से करीब 5 लाख ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द हो गए हैं.
क्या कहा कोलकाता हाई कोर्ट ने
जस्टिस तपोब्रत चक्रवर्ती और राजशेखर मंथर की बेंच ने कहा कि 2010 के बाद से जो ओबीसी सर्टिफिकेट्स जारी किए गए हैं वो असंवैधानिक हैं क्योंकि इसमें नियम का पालन नहीं किया गया है. इसलिए इन सभी सर्टिफिकेट को कैंसिल कर दिया गया है. अदालत ने कहा कि सर्टिफिकेट्स पिछड़ा वर्ग आयोग की सलाह माने बिना जारी गए हैं.
हाईकोर्ट ने कहा कि ओबीसी की सूचि पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम 1993 के अनुसार ही बनाया जाना चाहिए.
ममता बनर्जी के लिए बड़ा झटका
सत्ता में आने के बाद से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कहती रही हैं कि उनकी सरकार ने सभी मुस्लिमों को ओबीसी की कैटेगरी में ला दिया है और मुस्लिम समुदाय की आबादी रिजर्वेशन का फायदा भी उठा रही है. लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी उन्होने इस बात को बार-बार दोहराया है. अब ममता बनर्जी के लिए कोलकाता हाई कोर्ट का यह फैसला बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि यह ऐसे वक्त में आया है जब देश में लोकसभा का चुनाव चल रहा है और अभी दो चरणों का मतदान बाकी है.