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बिहार की राजधानी पटना के हाईकोर्ट ने छठे चरण की शिक्षक नियुक्ति में पास हुए B.Ed शिक्षकों को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने इन सभी अभ्यार्थियों की बहाली को रद्द करने का आदेश दिया है। हाइकोर्ट ने कक्षा 1 से 5 तक के नियोजित बीएड पास शिक्षकों को अयोग्य करार कर दिया है। 2022 में छठे चरण में 42 हजार नियोजित शिक्षक बहाल हुए थे। जिसमें एक से पांच वर्ग तक के लिए 22 हजार नियोजित शिक्षक बहाल हुए थे। इस फैसले को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने सुनाया है। फैसले में कहा कि, संविधान के अनुच्छेद 141 के तहत माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से हम बंधे हुए है। इसका पालन राज्य को भी करना होगा। ऐसे में बीएड पास उम्मीदवारों को प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के रुप में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं माना जाएगा। 2018 की एक अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा था कि एऩसीटीई ने बीएड पास अभ्यर्थियों को क्लास एक से पांच तक के शिक्षक पद पर नियुक्ति की मंजूरी दे दी है। लेकिन नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) की 2018 की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया है। वहीं प्राथमिक शिक्षकों का कहना है कि अभी ऑर्डरशीट आया नहीं है। केवल अफवाह उड़ाया गया है।
केवल इन्हें मिलेगी नियुक्ति
प्राथमिक कक्षाओं में केवल डीएलएड डिग्री प्राप्त शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। याचिकाकर्ताओं ने 28 जून, 2018 को एनसीटीई द्वारा जारी अधिसूचना को चुनौती दी थी। जिसमें प्राथमिक कक्षाओं में बीएड डिग्रीधारक शिक्षकों को योग्य माना गया। इस अधिसूचना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया था। नियोजित शिक्षकों का सरकार द्वारा बहाली के दो वर्ष के अंदर ब्रिज कोर्स करवाना था। बिहार सरकार ने अब तक ये कोर्स नहीं करवाया है। सरकार को यह कोर्स नियुक्ति के दो वर्ष के अंदर ही करावाना था। पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी कहा है कि जो शिक्षकों के पद खाली हुए हैं उसे कैसे भरा जाए इसपर भी सरकार फैसला लिया जाए।
50 मदरसों की मान्यता रद्द
B.Ed शिक्षकों के बहाली को रद्द करने बाद दरभंगा से एक और मामला सामने आया है। दरभंगा जिले के 32 समेत बिहार के 50 सरकारी मदरसों की मान्यता रद्द कर दी गई है। इस बड़ी कार्रवाई से मदरसा संचालकों व शिक्षकों में हड़कंप मच गया है। माध्यमिक शिक्षा के विशेष निदेशक ने इस संबंध में बिहार मदरसा शिक्षा बोर्ड के सचिव को पत्र लिखा है। इतना ही नहीं सचिव को पत्र प्रेषित कर 32 मदरसा शिक्षकों के वेतन अनुदान स्थगित करने को भी कहा है। इस मामले में स्थानीय निवासी मो. रजा ने बताया कि यहां के लोगों को तो पता ही नहीं है कि यह मदरसा कौन चलाता है। यह सिर्फ कागज पर ही चल रहा है। इसमें कौन शिक्षक है यह भी हम लोगों को पता नहीं है। आम लोगों को इससे कोई फायदा नहीं है।
TNP न्यूज़ से निवेदिता राय की रिपोर्ट.