भारत की युवा बैडमिंटन खिलाड़ी तन्वी शर्मा ने गुवाहाटी में हुई विश्व जूनियर बैडमिंटन चैंपियनशिप 2025 में शानदार प्रदर्शन करते हुए लड़कियों की सिंगल्स कैटेगरी में रजत (सिल्वर) पदक जीता। हालांकि वह फाइनल में थाईलैंड की खिलाड़ी अन्यापत फिचितप्रीचासक से हार गईं, लेकिन अपने खेल से उन्होंने सभी भारतीयों का दिल जीत लिया।
फाइनल में तन्वी की जबरदस्त लड़ाई
गुवाहाटी में खेले गए फाइनल मैच में तन्वी का मुकाबला थाईलैंड की दूसरी वरीयता प्राप्त खिलाड़ी अन्यापत से हुआ। सिर्फ 28 मिनट चले मुकाबले में तन्वी को 15-7, 15-12 से हार का सामना करना पड़ा। पहले गेम में तन्वी थोड़ी असहज दिखीं और शुरुआती अंक गंवाने के बाद वापसी नहीं कर पाईं। दूसरे गेम में उन्होंने शानदार शुरुआत की और कुछ समय के लिए बढ़त भी बनाई, लेकिन अनफोर्स्ड एरर (खुद की गलतियों) की वजह से मुकाबला हाथ से निकल गया।
भारत के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि
तन्वी के इस रजत पदक के साथ भारत के पास अब तक जूनियर विश्व चैंपियनशिप में कुल 12 पदक हो चुके हैं जिनमें 1 स्वर्ण, 5 रजत और 6 कांस्य शामिल हैं।
अब तक ओलंपिक पदक विजेता साइना नेहवाल ही एकमात्र भारतीय हैं जिन्होंने 2008 में इस टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीता था। तन्वी उन चुनिंदा भारतीय खिलाड़ियों में शामिल हो गई हैं जिन्होंने फाइनल तक का सफर तय किया है।
कौन हैं तन्वी शर्मा?
सिर्फ 16 साल की तन्वी शर्मा इस समय जूनियर विश्व रैंकिंग में नंबर 1 भारतीय और दुनिया में दूसरे स्थान पर हैं। वह अपने तेज फुटवर्क, सटीक शॉट्स और मजबूत मानसिक खेल के लिए जानी जाती हैं। इससे पहले तन्वी ने बैडमिंटन एशिया जूनियर चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था और यूएस ओपन के फाइनल तक पहुंचकर भी सबको प्रभावित किया था।
टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन
तन्वी का सफर बेहद दमदार रहा।
क्वार्टर फाइनल में उन्होंने जापान की साकी मात्सुमोतो को 13-15, 15-9, 15-10 से हराया।
सेमीफाइनल में उन्होंने चीन की लियू सी या को 15-11, 15-9 से मात दी।
हालांकि फाइनल में उन्हें हार झेलनी पड़ी, लेकिन पूरे टूर्नामेंट में उन्होंने बेहतरीन खेल दिखाया।
भविष्य की उम्मीद – भारत की अगली साइना या सिंधु?
तन्वी का प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि भारत के पास बैडमिंटन में एक नई स्टार खिलाड़ी उभर रही है। उनकी लगन और खेल के प्रति जुनून देखकर विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले सालों में वह पीवी सिंधु और साइना नेहवाल की राह पर चलकर भारत को कई अंतरराष्ट्रीय खिताब दिला सकती हैं।
Saurabh Dwivedi