बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री मंगलवार को वृंदावन के प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु संत प्रेमानंद महाराज से मिलने पहुंचे। वह केली कुंज स्थित आश्रम पहुंचे, जहां उन्होंने महाराज को दंडवत प्रणाम किया। प्रेमानंद महाराज ने उन्हें गले लगाकर स्वागत किया और पटुका पहनाकर सम्मानित किया। दोनों संतों के बीच करीब 30 मिनट तक आध्यात्मिक वार्ता चली।
‘भगवान का नाम ही सबसे बड़ी शक्ति है’
केली कुंज आश्रम से जारी वीडियो में दोनों संतों की बातचीत का अंश सामने आया है। प्रेमानंद महाराज ने मुस्कुराते हुए पूछा, “कैसे हो?”
इस पर धीरेंद्र शास्त्री ने जवाब दिया, “सब अच्छा है महाराज, मुंबई में माया जाल में फंसा था, समय नहीं मिल पाया, जैसे ही सूचना मिली, आपके दर्शन के लिए वृंदावन चला आया।”
प्रेमानंद महाराज ने कहा, “भगवान का नाम अवश्य लेना चाहिए, उसी से माया भाग जाती है। भगवान के नाम और गुण में अपार शक्ति है। जो व्यक्ति भगवान के नाम का श्रेय ले लेता है, वह माया से पार हो जाता है। ज्ञान-विज्ञान नहीं, केवल भगवान का नाम ही इस माया से मुक्ति दिला सकता है।”
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‘आप भगवान के दास हैं, माया आपको नहीं छू सकती’
बातचीत के दौरान महाराज ने कहा कि माया भगवान की दासी है, और जब कोई व्यक्ति अहंकार में आता है, तब माया उसे रोक देती है।
उन्होंने कहा, “आप भगवान के पार्षद हैं, आप माया में नहीं फंस सकते। माया के बीच जाकर भी आप लोगों को मुक्त करते हैं। भगवान के नाम से ही मुक्ति मिलती है।”
‘सावधानी भगवान रखेंगे, आप तो बेपरवाह चलिए’
जब धीरेंद्र शास्त्री से जुड़ी सावधानियों की बात उठी तो प्रेमानंद महाराज ने हँसते हुए कहा, “अगर ये सावधानी रखेंगे तो बच्चा कहां रह जाएगा। सावधानी तो माता-पिता करते हैं। ये तो भगवान के प्रिय भक्त हैं, इनकी रक्षा भगवान खुद करेंगे।”
प्रेमानंद महाराज का जीवन अनुभव
वार्ता के दौरान प्रेमानंद महाराज ने अपने जीवन के कठिन समय को याद करते हुए कहा, “जब मेरी किडनी फेल हुई, तब वास्तविक शरणागति का एहसास हुआ। तब अहंकार टूटा और भगवान की कृपा का बोध हुआ। वहीं से जीवन का असली अर्थ समझ आया।”
सनातन धर्म के लिए निकलेगी पदयात्रा
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि जल्द ही 6 से 13 नवंबर तक दिल्ली से वृंदावन तक पदयात्रा निकाली जाएगी। इस पदयात्रा का उद्देश्य सनातन धर्म को जोड़ना और हिंदू समाज को एकजुट करना है। दोनों संतों की मुलाकात को आध्यात्मिक एकता और सनातन संस्कृति के प्रसार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
Saurabh Dwivedi