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दीवाली के माहौल में पूरा देश दीपों की रौशनी में सराबोर है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दिवाली को लेकर दिए एक बयान से विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने लोगों से कहा कि दीयों और मोमबत्तियों पर बार-बार खर्च करने की बजाय, क्रिसमस की तरह स्थायी रोशनी पर ध्यान देना चाहिए। उनके इस सुझाव के बाद, विश्व हिंदू परिषद ने तीखी प्रतिक्रिया दी और अखिलेश पर भारतीय परंपराओं का अपमान करने का आरोप लगाया।
अखिलेश यादव ने ऐसा क्या कहा जिससे खड़ा हो गया विवाद
एक कार्यक्रम में अखिलेश यादव ने कहा, “मैं कोई बड़ा सुझाव नहीं देना चाहता, लेकिन भगवान राम के नाम पर एक बात जरूर कहूंगा। दुनिया के हर कोने में क्रिसमस के मौके पर शहर महीनों तक रोशनी से जगमग रहते हैं। हमें उनसे सीखना चाहिए। हमें हर बार दीयों और मोमबत्तियों पर इतना पैसा खर्च क्यों करना पड़ता है? सरकार से हमें क्या उम्मीद करनी चाहिए? इसे बदलना चाहिए। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि और भी सुंदर रोशनियाँ लगाई जाएँ।”
विश्व हिंदू परिषद का तीखा पलटवार
अखिलेश के इस बयान पर विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि “दीयों की रोशनी देखकर अखिलेश यादव को इतनी जलन क्यों हो रही है? वे हिंदुओं को यह सलाह दे रहे हैं कि दीयों और मोमबत्तियों पर पैसा बर्बाद मत करो, जबकि वे खुद क्रिसमस की तारीफ कर रहे हैं।”
बंसल ने अखिलेश पर विदेशी परंपराओं का महिमामंडन और भारतीय संस्कृति का अपमान करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि दिवाली का त्योहार सदियों से भारत की पहचान रहा है, और अब कोई नेता हिंदुओं को क्रिसमस से सीखने की नसीहत दे रहा है यह शर्मनाक है।
“हिंदू संस्कृति से नफरत, विदेशी त्योहारों से लगाव”
बंसल ने आगे कहा, “जब ईसाई धर्म का अस्तित्व भी नहीं था, तब से दिवाली मनाई जा रही है। अब वही नेता हिंदुओं को क्रिसमस से सीखने की बात कर रहे हैं। ऐसे लोगों के संरक्षण में ही धर्मांतरण बढ़ रहा है। इनके लिए दो महीने बाद आने वाला क्रिसमस तो अभी से उत्सव बन गया, लेकिन दो दिन बाद आने वाली दिवाली और कुम्हारों के दीये इन्हें परेशान कर रहे हैं।”
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अखिलेश की पार्टी को “समाजवादी नहीं, असमाजवादी पार्टी” कहना ज्यादा सही है।
विवाद बढ़ने के आसार
अखिलेश यादव के इस बयान ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। भाजपा और हिंदू संगठनों ने इसे हिंदू भावनाओं पर चोट बताया है, जबकि सपा समर्थक कह रहे हैं कि अखिलेश का मकसद केवल ऊर्जा बचत और आधुनिक रोशनी की व्यवस्था की बात करना था।
अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में अखिलेश यादव इस विवाद पर सफाई देते हैं या नहीं, क्योंकि दिवाली जैसे धार्मिक त्योहार पर इस तरह की टिप्पणी राजनीतिक रूप से बड़ी हलचल पैदा कर सकती है।
Saurabh Dwivedi